
इन संविदा कर्मियों की बल्ले-बल्ले, राजस्थान हाईकोर्ट ने अस्थायी नौकरी को माना स्थायी, 40 साल की मिलेगी पूरी पेंशन




इन संविदा कर्मियों की बल्ले-बल्ले, राजस्थान हाईकोर्ट ने अस्थायी नौकरी को माना स्थायी, 40 साल की मिलेगी पूरी पेंशन
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी कर्मचारी को दशकों तक अस्थायी सेवा देने के बाद नियमितीकरण के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति रेखा बोराणा की सिंगल बेंच ने भीलवाड़ा के सत्यनारायण शर्मा और अन्य कर्मचारियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं को उनकी प्रारंभिक नियुक्ति तिथि से नियमित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी माना जाएगा और उन्हें पेंशन सहित सभी सेवानिवृत्ति लाभ मिलेंगे। यह आदेश ऐसे कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है जिन्होंने करीब 40 साल तक विभाग में काम किया, लेकिन सरकार ने उन्हें नियमित नहीं किया था।
यह था मामला
सत्यनारायण शर्मा को 5 अगस्त 1981 को पंचायत समिति लूणकरणसर में गेट कीपर के रूप में अस्थायी तौर पर नियुक्त किया गया था। बाद में 1992 में उनका पद चुंगी नाका रक्षक बना। 1998 में राज्य सरकार ने ऑक्ट्रॉय (चुंगी) से जुड़े कर्मचारियों की छंटनी न करने का आदेश दिया था। इसके बाद सत्यनारायण शर्मा ने 14 अगस्त 1981 से लगातार ग्राम पंचायत लूणकरणसर में काम किया।
हालांकि, जिला परिषद बीकानेर ने 2007 में अधिशेष कर्मचारियों की सूची भेजी और 2016 में ग्रामीण विकास विभाग ने कुछ कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान देने का आदेश दिया, लेकिन याचिकाकर्ता इसमें शामिल नहीं थे। सरकार का तर्क था कि उनकी नियुक्ति नियमित प्रक्रिया से नहीं हुई थी और वे अस्थायी कर्मचारी थे।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
लेकिन कोर्ट ने पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि इतनी लंबी सेवा को अस्थायी नहीं माना जा सकता। इस सेवा को मूल सेवा माना जाना चाहिए। फैसले के अनुसार याचिकाकर्ताओं को नियमित माना जाएगा और पेंशन सहित सभी लाभ मिलेंगे, लेकिन वेतन निर्धारण के अनुसार किसी भी एरियर का दावा नहीं कर सकेंगे। इस फैसले से कुल 11 कर्मचारियों को राहत मिलेगी, जिनमें पाली और भीलवाड़ा जिले के कर्मचारी शामिल हैं।




