न्यायिक कर्मचारीगण के मंत्रालयिक संवर्ग एवं स्टेनों संवर्ग के पदों के पुर्नगठन हो

न्यायिक कर्मचारीगण के मंत्रालयिक संवर्ग एवं स्टेनों संवर्ग के पदों के पुर्नगठन हो

न्यायिक कर्मचारीगण के मंत्रालयिक संवर्ग एवं स्टेनों संवर्ग के पदों के पुर्नगठन हो
बीकानेर। राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ ने राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा राजस्थान सरकार जयपुर को अधीनस्थ न्यायालयों में पदस्थापित न्यायिक कर्मचारीगण के मंत्रालयिक संवर्ग एवं स्टेनों संवर्ग के पदों के पुर्नगठन के बाबत् पत्रावली विधि एवं विधि कार्य विभाग को प्रेषित की गई थी, जिस संदर्भ में उक्त पदों के पुर्नगठन के बाबत् माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पूर्णपीठ की बैठक में अनुमोदित कर पालनार्थ राज्य सरकार को प्रेषिति की गई थी। उक्त पत्रावली संख्या: 20005/एफ. 13 (3)/न्याय/ 2023, (बारकोड: 332300749) विधि सचिव, महोदय, विधि एवं विधिक कार्य विभाग, राजस्थान,इस संदर्भ में राजस्थान सरकार द्वारा नकारात्मक रूख अपनाते हुये पुर्नगठन के मामलें में आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्र नारायण जोशी ने बताया कि अधिकारिक जानकारी के अनुसार वित्त विभाग द्वारा उक्त पत्रावली में बिना कोई कार्यवाही किये विधि विभाग को लौटाई गई, जिसे ज्यों के त्यों की स्थिति में विधि विभाग द्वारा माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय को भिजवा दी गई है। राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के पदाधिकारी एवं प्रदेश के समस्त न्यायाक्षेत्रों से विभिन्न जिलों के जिलाध्यक्ष, प्रान्तीय प्रतिनिधिगण एवं सक्रिय सदस्य इस संदर्भ में माननीय राज्य सरकार एवं माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय में उच्चस्तर पर व्यक्तिगत उपस्थित होकर कई मर्तबा निवेदन कर चुके है। लेकिन आज दिनांक तक अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारीगण को सिवाय निराशा के कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है, जिससे प्रदेश के समस्त अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारीगण में इस सम्बन्ध में यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यदि राज्य घोर आकोश व्याप्त हो रहा है एवं अपने ही संस्थान एवं माननीय राज्य सरकार के प्रति भी हीन भावना एवं नीरसता का माहौल उत्पन्न हो रहा है, जिससे आम न्यायिक कर्मचारीगण माननीय राज्य सरकार के इस ढुलमुल रवैये से एवं नकारात्मक रूख से आहत हो चुके हैं। सरकार द्वारा माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय से प्रेषिति पदों के पुर्नगठन के प्रस्तावानुसार स्वीकृत नहीं की जाती है तो प्रदेश के समस्त कर्मचारीगण को उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुये संघर्षरत होना पडेगा। जिसकी समस्त जिम्मेवारी माननीय राजस्थान सरकार एवं माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय प्रशासन की होगी। इस सम्बन्ध में प्रदेश के समस्त जिलाध्यक्षगण, प्रान्तीय
जिला कलेक्टर के माध्यम से प्रेषित किये जा रहे है। अत: माननीय से सादर निवेदन है कि अधीनस्थ न्यायालयों केलगभग 20,000 कर्मचारीगण की भावनाओं को देखते हुये एवं उनके प्रति माननीय द्वारा पुर्नगठन की पत्रावली राज्य सरकार से प्रेषिति प्रस्ताव के अनुसार सकारात्मक रूप से लागू कराये जाने बाबत किये गये श्रेष्ठतम प्रयासों को मध्यनजर रखते हुये तथा आम न्यायिक कर्मचारीगण के आर्थिक एवं पदोन्नति का लाभ समय रहते प्रदान कराये जाये।

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