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राजस्थान के 1000 प्रोफेसरों की जॉब पर खतरा, फरवरी माह में जा सकती है नौकरी

उदयपुर । राजस्थान के महाविद्यालयों में स्थायी स्टाफ के अभाव में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पूर्ववर्ती सरकार की ओर से विद्या संबल योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत फिलहाल प्रोफेसरों का कार्यकाल बढ़ाने की गाइडलाइन नहीं आने से इनकेरोजगार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हो गई है। इसी के तहत प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों का शिक्षणकार्य कराया गया। इन प्रोफेसरों के पास सिर्फ फरवरी माह का समय ही शेष है। क्योंकि वर्तमान सरकार की ओर से इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। राजस्थान प्रदेश के कॉलेजों में नाम मात्र के ही प्रोफेसर हैं, इस योजना के तहत प्रोफेसर लगाए जाने सेविद्यार्थियों को जरूर इसका लाभ मिला था।आयुक्तालय की ओर से इन प्रोफेसरों को कॉलेज शिक्षा में व्यवस्था के तहत लगाया गया था। चूंकि आयुक्तालय ने अब तक विद्या संबल के माध्यम से पढ़ाने वाले प्रोफेसरों के सेवाकाल के आदेश आगे नहीं बढ़ाए हैं। ऐसे प्रदेश में योजना के तहत लगे करीब एकहजार प्रोफेसरों के फरवरी माह में बेरोजगार होने का खतरा मंडरा रहा है।तो सत्र होगा प्रभावितगौरतलब है कि इस बार से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रथम वर्ष में सेमेस्टर पद्धति के तहत परीक्षाएं होनी है। प्रदेश के कई कॉलेजों ने तो सेमेस्टर पद्धति लागू कर दी और कुछ में ये काम किया जाना है। इसी के अनुरूप विद्यार्थियों को पढ़ाई भी करवाईजानी है। प्रथम के बाद दूसरे सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। यदि योजना में लगे इन प्रोफेसरों को हटाया जाता है तो इसकाअसर आगामी सत्र में विद्यार्थियों के शिक्षण कार्य पर पड़ेगा।

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