आज आधी रात के बाद भारत में बदल जाएगी इंटरनेट-ब्रॉडबैंड की दुनिया!

आज आधी रात के बाद भारत में बदल जाएगी इंटरनेट-ब्रॉडबैंड की दुनिया!

आज आधी रात के बाद भारत में बदल जाएगी इंटरनेट-ब्रॉडबैंड की दुनिया!
नई दिल्ली। पूर्वोत्तर से लेकर लक्षद्वीप तक संपूर्ण भारतीय भू-भाग को तीव्र ब्रॉडबैंड सेवाओं से जोडऩे और उड़ान में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने वाले अत्याधुनिक हाई-थ्रूपुट संचार उपग्रह जीसैट-एन-2 (जीसैट-20) का प्रक्षेपण अमरीकी कंपनी स्पेसएक्स के प्रक्षेपणयान फाल्कन-9 से सोमवार आधी रात के बाद अमरीका के फ्लोरिडा स्थित केप कैनेवेरल अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा। भारत का यह पहला मिशन है जिसे अमरीकी धरती और स्पेसएक्स के रॉकेट से लांच किया जाएगा। इसके साथ ही भारतीय विमान सेवाओं में उड़ान के दौरान कनेक्टिविटी मजबूत हो जाएगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनसिल) का यह मांग आधारित दूसरा उपग्रह है। इसरो अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार भारतीय समयानुसार 18 अक्टूबर रात 12.01 बजे मिशन लांच किया जाएगा। अगर किसी कारणवश मिशन इस निर्धारित लांच विंडो में प्रक्षेपित नहीं हो सका तो भारतीय समयानुसार बुधवार अपराह्न तीन बजे का विकल्प रखा गया है। फाल्कन-9 री-यूजेबल दो चरणों वाला प्रक्षेपणयान है। यह विश्व का पहला आर्बिटल क्लास री-यूजेबल लांच व्हीकल है।
32 यूजर बीम, 48 जीबीपीएस क्षमता
जीसैट एन-2 लगभग 4700 किलोग्राम वजनी केए-केए (का-का) बैंड उपग्रह है जिसके 32 यूजर बीम अंडमान-निकोबार द्वीप और लक्षद्वीप समेत पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को कवर करेंगे। इनमें से 8 नैरो स्पॉट बीम पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जबकि, 24 वाइड बीम शेष भारत के लिए समर्पित हैं। इन 32 बीमों को भारतीय भू-भाग के भीतर स्थित हब स्टेशनों से सपोर्ट मिलेगा। केए बैंड हाई-थू्रपुट संचार पे-लोड की क्षमता लगभग 48 जीबी प्रति सेकेंड है और यह देश के दूर-दराज के गांवों को इंटरनेट से जोड़ेगा। उपग्रह को 14 साल के मिशन पर भेजा जा रहा है। पूरे भारतीय क्षेत्र में ब्रॉडबैंड सेवाओं के साथ यह इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी (आइएफसी) को भी बढ़ाएगा। उपग्रह की प्रणोदन प्रणाली भी अनूठी है।
एन-सिल का दूसरा उपग्रह
एन-सिल का यह मांग आधारित दूसरा उपग्रह है। इससे पहले एन-सिल ने जून 2022 में मांग आधारित पहला उपग्रह जीसैट-24 लांच किया था। अंतरिक्ष सुधारों के तहत एन-सिल अब उपग्रहों का स्वामित्व हासिल कर सकता है और उसे संचालित भी कर सकता है। फिलहाल एन-सिल के 11 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में ऑपरेशनल हैं।

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