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शवयात्रा में पूरा शहर, जलाने लगे तो भागा मुर्दा,VIDEO

राजस्थान अपनी अनूठी परंपराओं के कारण दुनियाभर में अलग पहचान रखता है। होली बीते एक सप्ताह से ज्यादा हो गया है, लेकिन राजस्थान में अब भी होली की मस्ती जारी है। होली से जुड़ी एक अनूठी परंपरा का रंग शीतलाष्टमी के मौके पर भीलवाड़ा में देखने को मिला। यहां परंपरागत तौर पर प्रतिवर्ष होली शीतलाष्टमी पर ही खेली जाती है। इस मौके पर मुर्दे की सवारी भी निकाली जाती है। जिसे देखने के लिए आसपास के कई जिलों के लोग भी यहां पहुंचते हैं।

होली के मौके पर जीवित व्यक्ति की शवयात्रा निकाली गई। कई बार वह जिंदा आदमी अर्थी से उठने का प्रयास भी करता है, लेकिन लोग उसे जलाने के लिए पहुंच जाते हैं। इसके बाद भी वह अर्थी से भाग जाता है। शुक्रवार को मेवाड़ की इस 200 साल पुरानी परम्परा को फिर से निभाया गया। चित्तौड़ की हवेली से मुर्दे की सवारी को निकाला गया। जिसे शहरवासी रंग गुलाल उड़ते हुए अंतिम संस्कार के लिए ले गए।

भीलवाड़ा में इस कार्यक्रम को लेकर जिला कलक्टर की ओर से अवकाश भी घोषित किया गया। साथ ही पूरे शहर में पुलिस की ओर से कड़ा पहरा रखा गया ताकि यह पूरा कार्यक्रम शांति से हो सके। नियत समय पर शहर के प्रमुख लोगों की मौजूदगी में पुरुषों द्वारा रंग गुलाल उड़ाते और हंसी मजाक करते इस मुर्दे की सवारी को निकाला गया।

रियासत काल से चली आ रही परम्परा

शहर के लोगों ने बताया कि मुर्दे की सवारी निकालने की परम्परा मेवाड़ रियासत समय से चली आ रही है। इस मुर्दे को लोक देवता ईलोजी के रूप में बताया जाता है और इसकी सवारी पूरे शहर में निकाली जाती है। सवारी के दौरान रंग गुलाल उड़ाया जाता है और पुरुष गीतों पर नाचते चलते हैं।

जिंदा हो जाता मुर्दा

अंतिम संस्कार के लिए बड़े मंदिर के पास बहाला में ले जाकर अर्थी को चिता पर लिटाने से कुछ क्षण पहले मुर्दे के रुप में लेटा व्यक्ति जिंदा होकर उठ कर भाग जाता है। जिसके बाद अर्थी का अंतिम संस्कार किया जाता है।

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