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सुविधाओं का मोहताज है बीकानेर का ट्रोमा सेन्टर,शौचालय तक नहीं

बीकानेर। एक ओर तो राज्य सरकार आमजन को बेहतरीन चिकित्सकीय सेवाएं मुहैया करवाने का दावा करती है और उसके लिये हर संभाग मुख्यालय पर ट्रोमा सेन्टर जैसी सुविधाएं भी शुरू कर रही है। किन्तु इन ट्रोमा सेन्टर में कमियों की भरमार पड़ी है। जहां मूलभूत सुविधा तक की क मियां सामने आई है। बात करें अगर बीकानेर के पीबीएम स्थित ट्रोमा सेन्टर की। तो यहां अव्यवस्थाओं का आलम है। जहां न तो शौचालय की सुविधा है और न ही ट्रोलियों की। जिसको सुधारने के लिये मंत्री से लेकर जिला कलक्टर तक ने अव्यवस्था को सुधारने का प्रयास कर लिये लेकिन पीबीएम प्रशासन के आगे किसी कि नहीं चलती है। हालात ये है कि संभाग के एक मात्र ट्रोमा सेन्टर में मरीजों व उनके परिजन व कार्यरत कर्मचारियों के लिए शौचालय तक उपलब्ध नहीं है। जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ ही रहा है। वहीं ट्रोमा में काम करने वाले क र्मचारी अपने काम को छोड़कर बाहर जाते है।
सर्दी के मौसम में बढ़ जाती है परेशानी
ट्रोमा सेन्टर पर शौचालय की अनुपलब्धता का खामियाजा सर्दियों के दिनों में ज्यादा भोगना पड़ता है। जब दिन के साथ साथ रात को मरीजों के साथ महिलाओं परेशानी उठानी पड़ रही है।
पीबीएम प्रशासन नहीं दे रहा है ध्यान
पीबीएम प्रशासन ट्रोमा में हो रही इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहा है जबकि इस बारे में कई बार प्रशासन को अवगत कराया दिया है लेकिन आज तक शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है। पहले एक शौचालय था लेकिन उसको हटा दिया है।
नहीं है ट्रोली
शौचालय की समस्या के साथ ट्रोमा सेंटर में मरीजों को इधर से उधर ले जाने के लिए ट्रोली तक उपलब्ध नहीं होती है कई बार तो नीचे फर्श पर सुला दिया जाता है। अगर कोई बड़ा हादसा हो जाये तो ट्रोमा प्रशासन के पास 22 ट्रोलियां ही है जो बहुत कम है उसमें से कई टूटी हुई है। अगर कोई गंभीर मरीज आ जाये तो वह ट्रोली के अभाव में गाड़ी में मर जाती है।
कई प्रकार की जांचे भी उपलब्ध नहीं
जानकारी मिली है कि गंभीर रोगियों के लिये ट्रोमा सेन्टर में कई प्रकार की जरूरी जांचे भी उपलब्ध नहीं है। इस संदर्भ में अनेक बार सामाजिक संगठनों की ओर से आवाज भी उठाई गई। लेकिन जनता की आवाज महज कागजों में ही दबकर रह जाती है।

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