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बना रहेगा बीकानेरी भुजिया का स्वाद,श्रमिकों का खर्च उठा रहे उद्यमी

बीकानेर। पूरी दुनिया में बीकानेर की पहचान बन चुकी बीकानेरी भुजिया का स्वाद लॉकडाउन के बाद भी बना रहेगा। लॉकडाउन के बाद पूरे देश में औद्योगिक क्षेत्रों से श्रमिकों का पलायन हुआ, लेकिन बीकानेरी भुजिया बनाने वाले उद्यमियों ने इस मामले में एक उदाहरण पेश किया और श्रमिकों को जाने नहीं दिया। बीकानेर में इस उद्योग में लगे करीब एक लाख प्रवासी श्रमिकों का रहने खाने का पूरा खर्च यहां के उद्यमी ही उठा रहे हैं।बीकानेरी भुजिया, पापड़ और रसगुल्ला पूरी दुनिया में अपने स्वाद के दम पर अलग ही पहचान रखता है। बीकानेर में यह काम वर्षो पुराना है और बीकानेर शहर तथा आसपास के इलाकों में छोटी बडी करीब 500 इकाइयां ऐसी है जो बीकानेरी भुजिया, पापड़, बडी, रसगुल्ला आदि बना रही है। पहले यह काम हाथ से होता था, अब मांग बढऩे के साथ ही यह काम मशीनों से होने लगा है। हाथ से भुजिया पापड़ बनाने वाले कारीगरों और श्रमिकों की संख्या अब ज्यादा नहीं है।
यह काम अब पुराने बीकानेर शहर तक सीमित रह गया है और इस काम को करने वाले लोग भी ज्यादा बीकानेर के ही मूल निवासी है। लेकिन जो भुजिया, पापड़ आज पूरी दुनिया में अलग-अलग ब्रांड के रूप में जा रही है, उसका उत्पादन बडी इकाइयों में मशीनों के जरिए होता है। इन इकाइयों में ज्यादातर श्रमिकम हरियाणा, बिहार, बंगाल, उडीसा से आए हुए है। लॉकडाउन के बाद से बीकानेरी भुजिया की इन इकाइयों में काम बंद है, लेकिन इन उद्यमियों ने अपने श्रमिकों को कहीं जाने नहीं दिया। बीकानेरी पापड़ भुजिया फूड प्रोसेसिग उद्योग संघ के महासचिव मक्खन लाल अग्रवाल बताते है कि लॉकडाउन से पहले कुछ श्रमिक चले गए, लेकिन लॉकडाउन के बाद हमारे उद्यमियों ने किसी श्रमिक को जाने नहीं दिया।सभी श्रमिकों का खर्च उद्यमी ही उठा रहे है। अग्रवाल बताते है कि सामान्य दिनों में भी हमारे श्रमिक परिवार में बहुत जरूरी काम होने पर ही जाते है। ज्यादातर फैक्ट्रियों में ही रहते है और उनका खाना आदि वहीं बनता है। जब सामान्य दिनों में यह स्थिति रहती है तो अब तो संकट का समय है। वहीं उद्यमियों की ही एक और संस्था बीकानेर फाउंडेशन के सचिव कमल कल्ला का कहना है कि बीकानेर के सभी उद्यमी हमारे फाउंडेशन के सदस्य है। इन सभी ने अपने अपने श्रमिकों के लिए सभी तरह की व्यवस्थाएं की हुई है और किसी भी श्रमिक को यहां से जाने नहीं दिया गया है। अपने फाउंडेशन की ओर से हम श्रमिकों के अलावा भी अन्य जरूरतमंदों की सहायता कर रहे है और दस हजार से ज्यादा राशन सामग्री के किट वितरित कर चुके है।
शुरू होगा उत्पादन
बीकानेर भुजिया की सभी इकाइयां लॉकडाउन के दौरान बंद रही है, लेकिन अब सोमवार से उन इकाइयों में काम शुरू होगा, जिनमें मशीनों से काम होता है। मक्खन लाल अग्रवाल ने बताया कि जिला प्रशासन ने कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए मशीन वाली इकाइयों का काम शुरू करने की अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा कि रसगुल्ले का काम भी शुरू होना चाहिए, क्योंकि बीकानेर इलाके के पशुपालक हमारी इकाइयों को दूध बेच कर ही काम चला रहे थे। अब यह सारा दूध डेयरियों में जा रहा है, लेकिन डेयरियों की इतनी क्षमता नहीं हैं। वहीं पापड़ और बडी बनाने वाली एक कम्पनी के संचालक और बीकानेर फांउडेशन के संस्थापक सदस्य जय अग्रवाल का कहना है कि सरकार को पापड़ व बडी बनाने की अनुमति भी देनी चाहिए, क्योंकि यह सब्जी का बहुत अच्छा विकल्प है और इसका उत्पादन कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए किया जा सकता है।

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