संविदाकर्मियों को हटाने की सुगबुगाहट से मची है खबलली
बीकानेर। एक ओर संविदाकर्मियों को स्थाई नियुक्ति देने की कवायद में राज्य की सरकार जुटी है और सरकार ने इसके लिये उर्जा व जन अभियांत्रिकी मंत्री डॉ बी डी कल्ला की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर तैयारी भी शुरू कर दी है। वहीं दूसरी ओर डॉ कल्ला के गृह जिले में ही संविदाकर्मियों को बेरोजगारी करने की एक खबर ने खलबली मचा रखी है। जिससे संविदा पर लगे कार्मिक अपने आप को असुरक्षित समझते हुए खबर की पुष्टि करने में जुट गए है और अपनी नौकरी बरकरार रखने की कोशिशों में लग गए। विधानसभा चुनावों से पहले अभियांत्रिकी महाविद्यालय ने 150 से ज्यादा संविदाकर्मियों को निकालकर आर्थिक मार दी थी। वहीं अब वेटरनरी विश्वविद्यालय में भी संविदाकर्मियों पर ऐसी मार मारने पडऩे की सुगबुहाट ने सारों के हाथ पांव फूला दिए है। सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार मैं सलीम राजू ठेका कंपनी का ठेका पूरा होने से पहले ही 225 संविदाकर्मियों को घर का रास्ता दिखाने का काम किया जा रहा है। इनको निकालने के पीछे आर्थिक आधार को कारण बताया जा रहा है। उनमें से 10 से 12 जनों को तो एक जुलाई से विवि नहीं आने के लिये भी कहा जा चुका है। ऐसे में शेष संविदाक र्मी भी सकते में आ गए है। इस बारे में कुलपति विष्णु शर्मा से बात की तो उन्होनें ऐसी जानकारी होने से इंकार करते हुए इसे विभागाध्यक्षों का मामला बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि संविदा पर लगे कार्मिकों का कार्यकाल पूरा होने के बाद उनको हटाना एक सामान्य प्रक्रिया है।
युवाओं पर बेरोजगारी का दंश
चुनावों में संविदाकर्मियों को स्थाई करने क ी घोषणा कर युवाओं के वोट बटोरने वाली कांग्रेस के राज में अब युवाओं को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ रहा है। पहले से ही स्थाई नौकरियों की आस लगाए बैठे संविदाकर्मियों को हटाने की प्रक्रियाओं ने कई युवाओं को मानसिक रूप से परेशान कर रखा है।
अन्य विभागों में संविदाकर्मियों का शोषण
सरकार द्वारा संविदाकर्मियों को नियमित करने की कवायद के चलते अन्य विभागों में भी ठेका एजेन्सियों की ओर से वर्षो से लगे संविदाकर्मियों को निकालकर वहां अपने चेहतों व रिश्तेदारों को लगाने की मुहिम चल रही है। पीबीएम,जिला परिषद,जिला अस्पताल सहित अनेक सरकारी महकमों में संविदाकर्मियों को किसी न किसी बहाने तंग कर हटाया जा रहा है। जानकारी मिली है कि कई विभागों में सरकार की ओर से तय मानदेय नहीं मिलने के चलते भी संविदाकर्मी परेशान होकर नौकरी छोड़ रहे है। तो कई महकमों में देरी से मानदेय दिया जा रहा है।