मंत्री के संभाग में इन 51 कॉलेजों की मान्यता होगी रद्द - Khulasa Online मंत्री के संभाग में इन 51 कॉलेजों की मान्यता होगी रद्द - Khulasa Online

मंत्री के संभाग में इन 51 कॉलेजों की मान्यता होगी रद्द

खुलासा न्यूज बीकानेर। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय जल्द एफीलिएटेड 426 कॉलेजों में से 51 की मान्यता निरस्त करने वाला है। इससे बीकानेर, हनुमानगढ़, चूरू और श्रीगंगानगर के करीब 17 हजार स्टूडेंट्स प्रभावित होंगे। छात्रों का भविष्य बचाने के लिए विवि इन कॉलेजों के छात्रों को आसपास के नजदीकी दूसरे कॉलेजों में शिफ्ट करेगा। एफीलिएशन निरस्त करने की प्रक्रिया नोटशीट पर ले ली गई है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक इन कॉलेजों में योग्य स्टाफ व क्वालीफाई प्रिंसिपल नहीं होने की वजह से ये निर्णय लेना पड़ा। पालना कराने के लिए विवि 14 साल से कॉलेजों को पत्र पर पत्र लिख रहा है। कई बार नोटिस दिए। फाइन तक लगाए। बावजूद इसके कॉलेज प्रशासन पर जूं तक नहीं रेंगी। अब विवि ने यह कड़ा निर्णय लिया। 17 साल के कार्यकाल में विवि दूसरी बार कॉलेजों का एफीलिएशन निरस्त करेगा। दो साल पहले भी 15 कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई थी।
श्रीगंगानगर के सर्वाधिक 22 कॉलेज
श्रीगंगानगर के सर्वाधिक 22 कॉलेज हैं, जिन पर मान्यता की तलवार लटकी है। दूसरे नंबर पर हनुमानगढ़ के 15, बीकानेर के सबसे कम 6 और चूरू के 8 कॉलेजों की मान्यता निरस्त होना लगभग तय है।
चार सवाल; यूजीसी, विवि, कॉलेज और छात्रों से
यूजीसी से
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सबसे बड़ी संस्था है। 14 साल से महाराजा गंगासिंह विवि अपने कॉलेजों में यूजीसी की गाइडलाइन का पालन नहीं करा पा रहा। फिर विवि पर कार्रवाई क्यों नहीं की।
एमजीएस विवि से
विश्वविद्यालय 2006 से जुर्माना, चेतावनी और नोटिस पर नोटिस दे रहा। फिर भी अब तक किसी कॉलेज पर एक्शन क्यों नहीं लिया गया। अगर किसी एक कॉलेज पर एक्शन लिया जाता तो आसपास के 10 कॉलेज सचेत होते लेकिन विवि के ढुलमुल रवैये से कॉलेजों के हौसले बढ़ते गए।
कॉलेजों से
आनन-फानन में कॉलेज स्थापित किया। उसी समय यूजीसी और विवि की गाइडलाइन का पालन क्यों नहीं किया। छात्रों ने कॉलेजों पर भरोसा कर प्रवेश लिया, लेकिन कॉलेजों की लापरवाही से अब हजारों छात्रों के भविष्य पर संकट मंडराने लगा है।
छात्र-अभिभावकों से
कोई भी चार कमरे बनाकर कॉलेज शुरू कर दे तो बिना जांच-पड़ताल प्रवेश क्यों लेते हैं। अभिभावकों ने ऐसे कॉलेजों में अपने बच्चों को दाखिला दिलाकर उनका भविष्य संकट में क्यों डाला। वो भी भारी-भरकम फीस भरकर, जबकि ऐसे कॉलेज यूजीसी नियम फॉलो नहीं करते।
2006 से जुर्माना बढ़ता गया पर कॉलेजों की गुणवत्ता नहीं सुधरी
2006 से विवि ने एफीलिएटेड कॉलेजों पर शिकंजा कसना शुरू किया। तब 50 प्रतिशत स्टाफ होने पर 10 हजार, 75 प्रतिशत योग्यताधारी स्टाफ पर पांच और एंडोमेंट फंड का निर्माण नहीं करने पर पांच हजार का जुर्माना लगाया था। 2007 में सभी कैटेगरी का जुर्माना बढ़ाकर दोगुना और 2008 में तीन गुना कर दिया।
2011-12 में 50 प्रतिशत स्टाफ पर दो लाख, 75 प्रतिशत योग्य स्टाफ पर एक लाख और एंडोमेंट फंड का निर्माण ना करने पर दो लाख का जुर्माना लगाया। जब इसका विरोध हुआ तो विवि की बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की मीटिंग में एक समिति का गठन किया गया, जिसने कॉलेजों को राहत देने की सिफारिश की।
चार साल पहले विवि ने बोम की अनुशंसा पर कॉलेजों को अंतिम मौका देते 31 दिसंबर, 2016 तक सभी शर्तों की पालना का आदेश दिया। करीब 96 कॉलेजों ने भूमि, भवन, स्टाफ, योग्यता की शर्तें पूरी कर लीं लेकिन 40 कॉलेजों ने शर्तें पूरी नहीं की। इस बीच कुछ नए कॉलेज भी विवि से जुड़े।
चार साल से इन 51 कॉलेजों को जब 31 दिसंबर 2020 तक दस्तावेज जमा कराने का मौका दिया तो 18 ने दस्तावेज सौंप दिए। अब विवि उनके दस्तावेज चेक करेगा। यदि सभी के दस्तावेज सही पाए गए तो शेष 33 कॉलेजों पर कार्रवाई होगी। यदि दस्तावेज सही नहीं मिले तो 51 कॉलेजों की मान्यता रद्द होगी।
यूजीसी की शर्तें और कॉलेजों की जमीनी हकीकत
स्नातकोत्तर कॉलेज में प्रिंसिपल की योग्यता पीएचडी के साथ 15 साल का शैक्षणिक अनुभव होना चाहिए लेकिन ज्यादातर कॉलेजों में 10 साल से ज्यादा का अनुभव वर्तमान में मौजूद प्रिंसिपल को नहीं है। जो योग्यता प्रमाण-पत्र विवि को सौंपा भी वो टुकड़ों में है। कहीं छह महीने का, कहीं एक तो कहीं चार साल। एक मुश्त 15 साल का अनुभव प्रमाण-पत्र नहीं है।
स्नातक कॉलेज में प्रिंसिपल की योग्यता पीएचडी के साथ 12 साल का शैक्षणिक अनुभव जरूरी है लेकिन 51 में से किसी कॉलेज में योग्यताधारी प्रिंसिपल नहीं है। पीएचडी तो सभी हैं लेकिन अनुभव किसी के पास नहीं।
कॉलेज में फैकल्टी के हिसाब से स्टाफ तय है। बीए की तीनों कक्षाओं के लिए न्यूनतम पांच शिक्षक होना अनिवार्य है पर 51 में से 30 से ज्यादा कॉलेजों में आधा भी स्टाफ नहीं है।
कॉमर्स में न्यूनतम दो और साइंस में पांच शिक्षक होना अनिवार्य है। अगर किसी कॉलेजों में तीनों ही फैकल्टी हैं तो न्यूनतम 12 शिक्षक अनिवार्य है, जो नहीं है।

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