
राजस्थान कांग्रेस में ‘कुर्सी की जंग…’ कहीं हाथापाई तो कहीं गुटबाजी, पूर्व अशोक सीएम गहलोत ने सीनियर नेताओं को किया आगाह





राजस्थान कांग्रेस में ‘कुर्सी की जंग…’ कहीं हाथापाई तो कहीं गुटबाजी, पूर्व अशोक सीएम गहलोत ने सीनियर नेताओं को किया आगाह
जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस संगठन सृजन अभियान के तहत जिलाध्यक्षों के चयन को लेकर मचे घमासान ने पार्टी की आंतरिक राजनीति को फिर सुर्खियों में ला दिया है। राहुल गांधी के निर्देश पर शुरू हुई रायशुमारी प्रक्रिया का उद्देश्य जिलाध्यक्षों का चयन पारदर्शी तरीके से करना है, लेकिन इस अभियान ने प्रदेशभर में गुटबाजी को फिर से उभार दिया है। जयपुर, जोधपुर, अजमेर, सीकर, बाड़मेर और कोटपूतली-बहरोड़ सहित कई जिलों में वरिष्ठ नेताओं के समर्थक और युवा खेमे आमने-सामने हैं।
जोधपुर में भिड़े समर्थक, बैठक में हंगामा
जोधपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक के दौरान जिलाध्यक्ष की दावेदारी को लेकर कार्यकर्ताओं के बीच जमकर हंगामा हुआ। हाउसिंग बोर्ड ब्लॉक की बैठक में दो नेताओं के समर्थक पर्यवेक्षक के सामने ही भिड़ गए। विवाद इतना बढ़ा कि हाथापाई की नौबत आ गई, हालांकि वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने बीच-बचाव कर मामला शांत कराया।
बाड़मेर में दो धड़ों की बैठकें, दिल्ली भेजी जाएगी रिपोर्ट
बाड़मेर में भी कांग्रेस दो खेमों में बंटी नजर आई। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के सह प्रभारी और पर्यवेक्षक राजेश तिवारी ने यहां कार्यकर्ताओं से वन-टू-वन रायशुमारी की। एक गुट वीरेंद्र धाम में पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी व हरीश चौधरी के समर्थकों के साथ जुटा, जबकि दूसरा गुट पूर्व विधायक मेवाराम जैन के नेतृत्व में सर्किट हाउस पहुंचा। तिवारी ने कहा कि सभी की राय लेकर रिपोर्ट दिल्ली भेजी जाएगी और केंद्रीय नेतृत्व अंतिम फैसला करेगा।
कोटपूतली में बुजुर्ग बनाम युवा खेमे की जंग
कोटपूतली-बहरोड़ में भी जिला अध्यक्ष पद के लिए जोर आजमाइश जारी है। पर्यवेक्षक और गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने अब तक दो दौर की बैठकें की हैं और कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत बातचीत कर जमीनी स्थिति समझी है। यहां बुजुर्ग नेताओं का अनुभव और युवाओं की नई ऊर्जा दोनों ही खेमों में लड़ाई जारी है।
पर्यवेक्षक ने संकेत दिए हैं कि कोटपूतली-बहरोड़ व खैरथल-तिजारा से तीन-तीन नाम हाईकमान को भेजे जाएंगे। साथ ही उन्होंने गुटबाजी को लेकर नाराजगी जताई और कहा कि आम नागरिकों, एनजीओ प्रतिनिधियों व स्थानीय संगठनों से भी रायशुमारी की जाएगी। नए जिलाध्यक्षों के कामकाज की छह माह बाद समीक्षा की जाएगी, और गुटबाजी करने वालों को संगठन में जगह नहीं मिलेगी।
गहलोत का सख्त संदेश
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप पर नाराजगी जताते हुए कहा कि संगठन सृजन अभियान का उद्देश्य कार्यकर्ताओं की भागीदारी बढ़ाना है, न कि सीनियर नेताओं द्वारा प्रस्ताव पारित करवाना। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी जिले में प्रभावशाली नेता की ओर से अपने पसंदीदा नाम को आगे बढ़ाना हाईकमान की भावना के अनुरूप नहीं है।

