
पूर्व पार्षदों को जनता ने नकारा,तो कई बने पार्टी के लिये खलनायक



जयनारायण बिस्सा
बीकानेर। नगर निगम चुनावों के परिणामों ने बहुत कुछ तश्वीर साफ की है। जहां कई पार्षद तो अपने वार्ड के चेहते बनकर दूसरी,तीसरी और चौथी बार तक निगम पहुंचे तो कई पूर्व पार्षदों की हालत तो ये हो गई कि उन्हें तीन अंक तक वोट हासिल करने में पसीना छूट गया। हालात ये है कि इसमें एक निवर्तमान पार्षद शामिल है। इनमें भाजपा के शिवकुमार रंगा है,जो लगातार दो बार चुनाव जीतने के बाद तीसरी बार चुनाव लड़े और परिसीमन के चलते उन्हें महज 267 वोट ही मिल पाएं। तो भाजपा के पूर्व पार्षद ताराचंद किलानियां को महज 32,कांग्रेस के पूर्व पार्षद रामेश्वर लाल सुथार को 56 और गुड्डी देवी को 103 वोटों से ही संतोष करना पड़ा।
हारने के बाद भी मिला टिकट,फिर हारे
मजे की बात ये है कि कांग्रेस के दो व भाजपा के एक प्रत्याशी ऐसे भी थे। जिन्हें पार्टी ने पिछली बार भी टिकट दिया था और इस बार भी उन पर भरोसा जताया। लेकिन वे न तो पिछली बार और न इस बार चुनाव जीतने में कामयाब हो पाएं। इसमें कांग्रेस की रेणू कंवर और सुहानी शर्मा है तो भाजपा के सुशील शर्मा शामिल है।
चुनाव जीतने के बाद भी नहीं जताया भरोसा
टिकाऊ और जीताऊ प्रत्याशी की ललक में दोनों ही राजनीतिक दलों ने कई जीते हुए पार्षदों को टिक ट नहीं दिया। जिसका परिणाम ये रहा कि उनके अधिकृत प्रत्याशियों को पछाड़ ऐसे बागियों ने अपनी पार्टी को आईना दिखाया। जानकारी में रहे कि कांग्रेस के बैनर पर पिछला चुनाव जीतने वाली लक्ष्मीदेवी,नंदकिशोर गहलोत,मनोज नायक तथा भाजपा के जमनलाल गजरा ने इस दफा पार्टी का टिकट नहीं मिलने पर भी चुनाव जीतकर निगम पहुंचे।
कई पार्षदों व पूर्व पार्षदों ने अपनी पार्टी का बिगाड़ा खेल
निगम चुनावों में टिकट वितरण से नाराज कई निवर्तमान रहे पार्षद व पूर्व पार्षदों ने अपने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के सामने खड़े होकर जीत का गणित बिगाड़ गये। इसमें वार्ड 32 से भगवती प्रसाद गौड,वार्ड 52 से भावना गहलोत,वार्ड 53 से सहाबुद्दीन भुट्टो,वार्ड 61 से पूर्व पार्षद दीन मो शामिल है।




