भाजपा की आपसी झगड़े में 3 पूर्व मंत्रियों की भाजपा में वापसी की योजना लटकी, पूनिया ही करेंगे फाइनल करेंगे - Khulasa Online भाजपा की आपसी झगड़े में 3 पूर्व मंत्रियों की भाजपा में वापसी की योजना लटकी, पूनिया ही करेंगे फाइनल करेंगे - Khulasa Online

भाजपा की आपसी झगड़े में 3 पूर्व मंत्रियों की भाजपा में वापसी की योजना लटकी, पूनिया ही करेंगे फाइनल करेंगे

जयपुर। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले बीजेपी में नेताओं की घर-वापसी से पार्टी में लड़ाई शुरू हो गई है। विवाद की शुरुआत देवी सिंह भाटी के वापसी के ऐलान से हुई। राजे समर्थक भाटी की एंट्री तो अब तक नहीं हुई, लेकिन दूसरे नेताओं की वापसी जरूर टल गई है। आज जयपुर में हुई पार्टी पदाधिकारियों और कार्यसमिति की बैठक में भी यही मुद्दा छाया रहा। हालांकि, पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की सहमति के बिना किसी की एंट्री संभव नहीं है। दरअसल, 8 अक्टूबर को बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री भाटी ने बीजेपी में वापसी का ऐलान किया था। भाटी समेत 5 नेता ऐसे हैं, जो बीजेपी में घर वापसी की कतार में बताए जाते हैं। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद रहे सुभाष महरिया, पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा, पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल और पूर्व विधायक विजय बंसल शामिल हैं। सूत्र बताते हैं इनके अलावा भी 4-5 पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व पार्टी पदाधिकारी पार्टी में आना चाहते हैं, कई कांग्रेस नेता भी विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में एंट्री करना चाहते हैं। हालांकि इनसे पहले पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी को बीजेपी ने घर वापसी करवा कर राज्यसभा पहुंचा दिया है। वहीं, पूर्व मंत्री लक्ष्मीनारायण दवे, पूर्व विधायक जगत सिंह, किशनाराम नाई की बीजेपी में घर

वापसी हो चुकी है। क्यों पनपा विवाद ?
देवी सिंह भाटी केस
किसी भी नेता की पार्टी में जॉइनिंग संगठन ही करवाता है। देवी सिंह भाटी ने वसुंधरा राजे के हाल ही में हुए बीकानेर दौरे के वक्त व्यवस्थाएं संभाली थीं।
इससे प्रदेश बीजेपी भी सकते में आ गई। इसे पार्टी में आने से पहले ही अनुशासनहीनता के तौर पर देखा गया। सूत्र बताते हैं भाटी की बीजेपी में जॉइनिंग से प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और संगठन पदाधिकारी

असहज हो सकते हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2019 में पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी ने बीजेपी पार्टी छोडऩे की घोषणा की थी। तब उन्होंने कहा था कि सांसद और केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को लोकसभा चुनाव में फिर उम्मीदवार बनाने पर उन्होंने पार्टी छोडऩे का फैसला लिया है।
ये नेता कतार में -रिणवा की जगह अभिनेष महर्षि को बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट दिया था, जो दो दिन पहले ही बसपा से बीजेपी में आए थे। उससे पहले वे कांग्रेस में थे। इससे आहत होकर रिणवा ने अप्रैल 2019 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली थी।
अरुण सिंह ने कहा है कि बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया से बात करके ही नेताओं की बीजेपी में जॉइनिंग और घर वापसी करवाई जाएगी। नेताओं की पार्टी में जॉइनिंग को लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी। वह कमेटी नेताओं की प्रोफाइल समेत तमाम पहलुओं पर विचार विमर्श करेगी और स्क्रूटिनी करेगी।
जो नेता पार्टी की नीतियों का समर्थन करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो काम हो रहा है, उससे प्रभावित होकर बीजेपी जॉइन करना चाहेंगे, उन नेताओं के नाम इकट्टा करके पार्टी स्क्रूटिनी करेगी। फिर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से बात करके ही जॉइन करवाया जाएगा।
20 और 21 अक्टूबर को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कोटा दौरा है। जहां वह बूथ सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इसके बाद दीपावली का त्योहारी सीजन है। माना जा रहा है कि दीपावली के बाद ही अब पार्टी में जॉइनिंग को लेकर बड़े स्तर पर फिर से मंथन होगा।
सूत्रों के मुताबिक अलग-अलग जिलों और विधानसभा क्षेत्रों से बीजेपी प्रदेश संगठन को नेताओं के नाम पार्टी सदस्यता और घर वापसी के लिए मिल रहे हैं। सभी नेताओं के पिछले रिकॉर्ड, उन्हें पार्टी में लेने के फायदे-नुकसान, पार्टी की रीति-नीति जैसी तमाम बातों को ध्यान में रखा जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का बीकानेर दौरा खासा चर्चा में है। चर्चा इसलिए है कि उनका यह दौरा पार्टी की तरफ से घोषित कार्यक्रम नहीं था। वसुंधरा ने इसे देव दर्शन के लिए निजी टूर बताया था। विश्नोई समाज के मुकाम और करणी माता मंदिर में दर्शन के साथ राजे ने अपनी राजनीतिक क्षमता का भी शक्ति प्रदर्शन किया।

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