
राजस्थान में पेट्रोल की मूल कीमत 37 रुपए 84 पैसे, जानिए क्या है तेल का गणित?






जयपुर: कोरोना संकट के दौर में जब आम आदमी अपने जीवन और आजीविका दोनों को बचाने केेे लिए जूझ रहा है तब बेलगाम तेल कंपनियां आम आदमी को निचोड़ने में लगी हुई है. क्या आपको पता है जिस पेट्रोल के लिए आप प्रति लीटर 108 रुपए 61 पैसे चुका रहे हो उसकी वास्तविक कीमत महज 37 रुपए 84 पैसे और डीजल की 38 रुपए 45 पैसे है. जी हां केंद्र और राज्य सराकर मिलकर पेट्रोल, डीज़ल पर करीब 300 फीसदी तक ज्यादा टैक्स वसूल रही हैं. पेट्रोल, डीज़ल की आसमान छूती कीमतों से त्रस्त प्रदेश की जनता को आज हम बताने जा रहे हैं पेट्रोल, डीज़ल पर टैक्स को अनसुलझा खेल जिससे आमजन अभी तक अनजान थी
पेट्रोल:
पेट्रोल बेस प्राइज़ | 37.84 रुपए |
सेंट्रल एक्साइज़ | 38.18 रुपए |
स्टेट वैट | 27.58 रुपए |
रोड सैस | 1.50 रुपए |
TCS. | 0.06 |
डीलर कमीशन | 3.45 रुपए |
कुल | 108.61रुपए |
डीज़ल:
डीज़ल बेस प्राइज़ | 38.45 रुपए |
सेंट्रल एक्साइज़ | 35.98 रुपए |
स्टेट वैट | 20.53 रुपए |
रोड सैस | 1.75 रुपए |
TCS | 0.06 |
डीलर कमीशन | 2.35 रुपए |
कुल | 99.12 रुपए |
पेट्रोल, डीज़ल के भाव कम होने का नहीं ले रहे नाम:
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बाद भी देश और प्रदेश में पेट्रोल, डीज़ल के भाव कम होने का नाम ही नहीं ले रहे. पेट्रोल, डीज़ल की कीमतों में वृद्धि से पिछले 1 वर्ष में रोटी, कपड़ा और मकान 30 फ़ीसदी से ज्यादा महंगा हो चुका है. अब सवाल उठता है कि क्या पेट्रोल, डीज़ल की वास्तविक कीमत वही हैं जो हम जेब से चुका रहे हैं या फिर इनमें भी केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कमाई का जरिया तय कर चुकी हैं. जी हां…पेट्रोल, डीज़ल की वास्तविक कीमत हमारे द्वारा चुकाई जा रही कीमतों से तीन सौ प्रतिशत तक कम हैं. फिर क्या कारण है कि हमारी जेब से वास्तविक कीमतों से तीन गुना तक ज्यादा वसूला जा रहा है.इस सवाल का जवाब केंद्र और राज्य सरकारों के उन टैक्स में छुपा है जिसकी आम जनता को जानकारी नहीं. दरअसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की भारतीय पॉकेट की कीमत 51 डॉलर प्रति बैरल तक है. इस कीमत से राजस्थान में 30 सितम्बर को पेट्रोल की मूल कीमत 37 रुपए 84 पैसे है. इस पर केंद्र सरकार हमसे केंद्रीय उत्पाद शुलक के तौर पर प्रति लीटर 38 रुपए 18 पैसे वसूल रही है जो पेट्रोल की बेस प्राइस से भी ज्यादा है. वहीं राज्य सरकार 27 रुपए 58 पैसे. इसके अलावा रोड सैस, लाइसेंस फीस, डीलर कमीशन पर वैट और डीलर का कमीशन भी इसमें जोड़ दिया जाए तो पेट्रोल पर हम मूल कीमत के बाद 70 रुपए से ज्यादा प्रति लीटर ज्यादा दे रहे हैं.
केंद्र और राज्य सरकार मिलकर वसूल रहे 56 रुपए 51 पैस तक टैक्स:
इसी तरह डीज़ल की बेस प्राइस 38 रुपए 45 पैसे प्रति लीटर है जिस पर हमसे केंद्र और राज्य सरकार मिलकर 56 रुपए 51 पैस तक टैक्स वसूल रहे हैं. कोरोना संकट के दौर में राज्य सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल पर 3 बार वैट बढ़ाया और एक बार घटाया. प्रदेश में अब पेट्रोल पर 36 फीसदी और डीज़ल पर 28 फीसदी वैट है. अब बात करें पड़ौसी राज्यों में पेट्रोल डीज़ल की तो हालत और खराब दिखाई देती है. हरियाणा, पंजाब, गुजरात और यूपी के मुकाबले राजस्थान में पेट्रोल, डीज़ल पर टैक्स 10 रुपए तक ज्यादा है. इससे हमारे ट्रांसपोर्टर ही नहीं दूसरे राज्यों के ट्रांसपोर्टर भी डीज़ल राजस्थान की अपेक्षा पड़ौसी राज्यों से ले रहे हैं. इससे प्रदेश में पेट्रोलियम की बिक्री 30 फीसदी से ज्यादा गिरी है. उम्मीद की जानी चाहिए कि कोरोना संकट के दौर में केंद्र सरकार ने पेट्रोल डीजल पर दो केंद्रीय उत्पाद शुल्क बढ़ाया उसे कम करेगी और राज्य सरकार भी पड़ौसी राज्यों की तुलना में जल्द ही पेट्रोल, डीज़ल के दामों में प्रदेश की जनता को राहत देगी ताकि कोरोना संकट के दौर में आमजन को राहत मिल सके.


