
मंत्रियों ने जांच से बचने का रास्ता निकाला,अब कलेक्टर की अध्यक्षता में बनी कमेटियां चेंज कर सकेंगी लैंड यूज






जयपुर। राजस्थान में छोटी नगर पालिका क्षेत्र में औद्योगिक ईकाइयां खोलने के लिए अब लैंड यूज चेंज (भू-उपयोग परिवर्तन) जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में बनाई कमेटियां करेगी। इस निर्णय के बाद अब सरकार के पास लैंड यूज चेंज के लिए फाइलें भेजने की जरूरत नहीं रहेगी। सरकार का ये निर्णय कार्यकाल के आखिरी समय में आया है, ताकि मंत्री स्तर पर फाइलें का डिस्पोजल न हो। अगर नई सरकार आती है तो जांच से बचने के लिए मंत्रियों ने नया रास्ता निकाल लिया है।
पिछले 2 माह में नगरीय विकास विभाग का ये तीसरा ऐसा निर्णय है। इसमें बड़े मामलों में मंत्री की इन्वॉल्वमेंट को खत्म किया है। इससे पहले नगरीय निकायों (यूआईटी, विकास प्राधिकरण में) जमीनों 90बी करने और पट्टा जारी करने के अधिकार बढ़ाए थे। इसके अलावा अवाप्तशुदा जमीनों के मुआवजे जारी करने के प्रकरणों के अधिकार भी प्राधिकरण, यूआईटी और हाउसिंग बोर्ड स्तर पर दे दिए थे।
इनकी बनाई कमेटियां
प्रदेश की नगर पालिका क्षेत्रों में 10 हजार वर्गमीटर या उससे ज्यादा जमीन का भू-उपयोग परिवर्तन (औद्योगिक उपयोग के लिए) अब कलेक्टर की अध्यक्षता में बनाई कमेटी कर सकेगी। इसमें कलेक्टर अध्यक्ष होगा, जबकि प्लानिंग शाखा का सीनियर अधिकारी (डीटीपी, एटीपी, एसटीपी) और कलेक्टर ऑफिस में नियुक्त सीनियर विधि अधिकारी सदस्य होंगे। नगर पालिका का अधिशाषी अधिकारी या कमिश्नर सदस्य सचिव होंगे।
इसलिए हाथ बचा रहे है मंत्री
सूत्रों के मुताबिक सरकार के कार्यकाल के आखिरी 6 माह बचे है। इन 6 माह में जल्दबाजी में कोई ऐसी फाइल न साइन हो जाए, जिससे बाद में परेशानी हो। इसी आशंका को देखते हुए अब मंत्री स्तर पर फाइलों का डिस्पोजल रोक दिया है। क्योंकि चलन है कि सरकार बदलने के बाद नई सरकार पुरानी सरकार के आखिरी 6 माह के कार्यकाल की जांच करवाती है और मुख्य विभागों के उन सभी बड़े फैसलों और फाइलों का रिव्यू करती है। इस रिव्यू में मंत्री पर किसी तरह के कोई आक्षेप न लगे इसके लिए ऐसे आदेश जारी किए जा रहे है।


