Gold Silver

देवों की भूमि पर कब्ज़ा जमाए बैठे हैं भूमाफिया, बीकानेर के मंदिरों के पास है 1938 बीघा से ज्यादा कृषि भूमि!

बीकानेर के मंदिरों को पास 132 व्यावसायिक संपत्ति हैं.

खुलासा न्यूज़ , बीकानेर । इन दिनों प्रदेश में आस्था भू माफियाओं से जंग लड़ते नजर आ रही है. पहले खनन रुकवाने को लेकर ब्रज चौरासी में एक साधु द्वारा खुद को आग के हवाले करने का मामला हो या फिर जालौर में मंदिर की संपत्ति बचाने के लिए एक साधु द्वारा आत्महत्या करने का मामला और अब ताजा मामला तो राजधानी जयपुर का है जहां एक पुजारी ने अपने हक की लड़ाई में खुद को आग के हवाले कर दिया. इन सब घटनाओं के पीछे की वास्तविकता को जानने के प्रयास किए जाएं तो बड़े ही आश्चर्यजनक तथ्य सामने आते हैं।

प्रदेश में देवस्थान विभाग के आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश के 27 जिलों में देवस्थान विभाग के 857 मंदिर हैं. इन मंदिरों के पास मंदिर माफी की कृषि भूमि 24399 बीघा से ज्यादा है. इन मंदिरों के पास कुल 624 आवासीय और 1267 व्यावसायिक संपत्ति भी हैं. देवस्थान विभाग के सर्वाधिक 113 मंदिर करौली में, भरतपुर में 110, जयपुर में 107 और उदयपुर में 86 मंदिर हैं. इन मंदिरों के पास आवासीय संपत्ति की बात करें सुख सर्वाधिक आवासीय संपत्ति जोधपुर के मंदिरों के पास हैं, जिनकी संख्या 146 है. उसके बाद भरतपुर में 134 और जयपुर के मंदिरों के पास 114 आवासीय संपत्ति हैं.

मंदिरों के पास व्यावसायिक संपत्ति की बात करें तो सर्वाधिक 237 व्यावसायिक संपत्ति उदयपुर के मंदिरों के पास हैं. जबकि जोधपुर के मंदिरों के पास 209, जयपुर के मंदिरों के पास 180, भरतपुर के मंदिरों के पास 134 और बीकानेर के मंदिरों को पास 132 व्यावसायिक संपत्ति हैं. मंदिर माफी की सर्वाधिक भूमि की बात करें तो उदयपुर के मंदिरों के पास सर्वाधिक 8660 बीघा मंदिर माफी की कृषि भूमि है. जबकि बारां जिले के मंदिरों के पास 3977 बीघा, चूरू के मंदिरों के पास 2916 बीघा, बूंदी के मंदिरों के पास 2583 बीघा और बीकानेर के मंदिरों के पास 1938 बीघा से ज्यादा कृषि भूमि है।

देवस्थान विभाग के मंदिरों में से महज टोंक, भरतपुर, जैसलमेर, अलवर, करौली, सवाई माधोपुर ही ऐसे जिले हैं जिनके पास मंदिर माफी की कृषि भूमि नहीं है यह तो देवस्थान विभाग में पंजीकृत मंदिरों से जुड़े मामले हैं कुछ ऐसे ट्रस्ट और निजी मंदिर भी हैं जिनकी भूमि को लेकर भी प्रदेश में लंबे समय से विवाद देखने को मिल रहा है. दरअसल मंदिरों के पास भेज कुंती भूमि और भवन है ऐसे में देवों की संपत्ति पर शुरू से ही दबंगों भू माफियाओं की नजर रही है.
पिछले दिनों खनन बंद कराने को लेकर ब्रज चौरासी में एक साधु द्वारा आत्मदाह करने का मामला सामने आया तो कुछ दिनों बाद ही जालौर में मंदिर की भूमि को बचाने के लिए एक साधु ने आत्महत्या कर ली और अब ताजा मामला जयपुर का है जहां दबंगों से परेशान एक पुजारी ने खुद को आग के हवाले कर दिया और बाद में दम तोड़ दिया. इसी तरह पिछले वर्ष दौसा जिले के महुआ में मंदिर की भूमि को लेकर घटना हुई थी. दरअसल तब महवा के गांव के बालाहेड़ी में मंदिर श्री सीताराम जी केेे पास 210 बीघा मंदिर माफी की भूमि हैै वही महुआ के पावटा में मंदिर श्री लक्ष्मण जी के पास 92 बीघा भूमि हैं भू माफिया की शुरू से ही इन भूमि पर नजर रही थी और ताबड़तोड़ अवैध निर्माण भी किए गए थे।

पिछले वर्ष करौली में भी इसी तरह का मामला सामने आया था. खुद देवस्थान विभाग राजस्व विभाग को इस मामले में पत्र लिख चुका है कि देवों की भूमि से अतिक्रमण हटाया जाएं. बहरहाल अब देखना होगा कि ताजा विवाद के बाद कब देवों को अपनी भूमि पर कब्जा मिलेगा और देवों की संपत्ति पर नजर गड़ाए बैठे माफियाओं पर सरकार सख्त होगी. ताकि नाबालिग प्रतिमा के तौर पर मंदिरों में विराजे देवों के भूमि-भवन बचाने के लिए उनके पुजारियों को आत्मदाह न करना पड़े।

Join Whatsapp 26