बीकानेर में रियासतकाल में बनी झील, चढ़ी भ्रष्टाचार के भेंट, करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद आज भी जा रहा है गंदा पानी
बीकानेर में रियासतकाल में बनी झील, चढ़ी भ्रष्टाचार के भेंट, करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद आज भी जा रहा है गंदा पानी
बीकानेर। रियासतकाल में बीकानेर के परम प्रतापी नरेशों द्वारा जूनागढ़ दुर्ग के सामने बनवाई साफ पानी की झील सूरसागर स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ समय बाद से ही तत्कालीन बदइंतजामियों, अनियोजित नगर विकास और लापरवाही से धीरे धीरे कीचड़, गंदगी
के बड़े कुंड में बदल गई। हालात ये हो गये थे कि बीकानेर में एक राजनीतिक नारा चलता था कि ….तुम एक काम करोसूरसागर में डूब मरो…. होना जाना कुछ था नहीं इसलिए कई दशक तक अलग अलग राजनीतिक दलों की सरकारें आईं और गईं सूरसागर की दशा सुधरने के बजाय बिगड़ती चली गई। जूनागढ़ दुर्ग के समक्ष कीचड़ दुर्गंध से भरा यह कुंड देख विदेशी सैलानी हंसते, मजाक उड़ाते और फोटो खींच ले जाते अपने देश जाकर दिखाते कि बीकानेर में स्मारकों का यह हाल होता है। फिर बीकानेर की किस्मत कुछ पलटी वसुंधरा राजे सीएम बनीें और उनके जीवट से सूरसागर झील से कीचड़ साफ हुआ, इसमें पानी भरा गया तथा बोटिंग शुरू हुई लेकिन नगर के छुटभैये अफसरों की नाकामी से सीवर का पानी सूरसागर में जाने से धीरे धीरे फिर सूरसागर में कीचड़ पनपने लगा। इधर राजे सरकार गई उधर सूरसागर के फिर बुरे दिन आ गये। झील की वे दीवारें जो राजे सरकार के समय साफ सफाई कर रंग रोगन से दमकती थीं पिछले साल बरसात में ढहने लगी जिसकी मरमत तक अभी की सरकार और जिला प्रशासन नहीं करवा पा रहा। झील के तल में काई उग आई है, पानी नदारद है और सीवर का सड़ांध मारता पानी कुछेक अंगुल का मुंह चिढ़ाता दिखता है। सावधान संस्था 077 के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेशसिंह भदौरिया ने मांग की है कि आसपास की सीवर का पानी जो रिसाव के रूप में सूरसागर में समा रहा है को रोका जाए, इसकी दीवारों की मरमत कर रंग रोगन किया जाए और इस झील को स्वच्छ पानी से भरकर पर्यटन रमणीक स्थल के रूप में विकसित किया जाए।