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दो पुलिस कांस्टेबलों की हत्या कर फरार चल रहा कुख्यात तस्कर राजू फौजी को पुलिस ने पकडा

भीलवाड़ा में छह माह पूर्व दो पुलिस कांस्टेबलों की हत्या कर फरार चल रहा कुख्यात तस्कर राजू फौजी को आखिरकार पुलिस ने पकड़ लिया है। जोधपुर शहर के बाहर छोर पर शनिवार तड़के अपनी बाइक पर जा रहे राजू फौजी को पुलिस की टीम ने घेर लिया। इस दौरान उसने पुलिस पर गोली चला दी। पुलिस ने जवाबी गोलियां चलाई और उसके पांव में गोली लगी है। गोली लगने के बाद बाइक से नीचे गिरे राजू के सिर व कोहनी में चोट आई है। कड़े सुरक्षा घेरे में उसे एमडीएम अस्पताल लाया गया है। जहां उसका इलाज चल रहा है। उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।

डीसीपी ईस्ट भुवन भूषण यादव ने बताया कि अजमेर आईजी की ओर से गठित विशेष टीम को कल सूचना मिली थी कि राजू फौजी जोधपुर के बनाड़ पुलिस थाना क्षेत्र में है। इस पर कल रात अजमेर से आई टीम के साथ ही बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी व जवानों की एक टीम को भेजा गया। इस टीम ने सर्द मौसम में पूरी रात राजू की निकरानी रखी। आज सुबह छह बजे राजू फौजी ने भागने प्रयास किया। उसे पकड़ने का प्रयास किया गया। इस दौरान राजू ने गोली चला दी। पुलिस ने जवाब में गोली चलाई और उसके घुटने पर गोली मारी गई। गोली लगते ही अपनी बाइक से राजू नीचे गिर पड़ा। नीचे गिरने से उसके सिर व कोहनी में हल्की चोट आई है। उसकी सीटी स्कैन कराया जा चुका है। उसकी स्थिति सामान्य है और जान का कोई खतरा नहीं है।

दस अप्रैल को दो भीलवाड़ा में दो पुलिस कांस्टेबल की गोली मार हत्या कर देने के बाद राजू फौजू को पकड़ना पुलिस के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। राजू को पकड़ने के लिए जोधपुर व भीलवाड़ा पुलिस की विशेष टीम गठित की गई थी। यह टीम लगातार राजू की तलाश में जुटी थी। आज सुबह जल्दी इस टीम ने राजू के मोबाइल का आईपी एड्रेस ट्रेस करने में सफलता हासिल कर उसकी लोकेशन ढूंढ़ निकाली। वह शहर के बाहरी छोर पर आबाद खोखरिया गांव में छुपा हुआ था।

ऐसा है राजू फौजी

गांव से निकला राजूराम फौजी अपराध के दलदल में ऐसा धंसा कि निकल नहीं पाया। कम समय में अधिक पैसा कमाने की चाह में वह तस्कर बन गया। अफीम व डोडा की तस्करी से शुरू हुआ अपराध का सफर अब भी जारी है। इस दौरान उसने ताबड़तोड़ अपराध किए, पर उसके हाथ नहीं कांपे। राजू विश्नोई उर्फ राजूराम फौजी जोधपुर से सटे बाड़मेर जिले के डोली गांव का है। स्कूल की पढ़ाई पूरी करते ही राजू CRPF (सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स) में भर्ती हो गया। उसकी नौकरी अच्छी चल रही थी। नौकरी लगने के बाद घरवालों ने शादी भी कर दी। उसे नजदीक से जानने वाले लोगों का कहना है कि उसमें पैसा कमाने की सनक थी। यही कारण रहा कि वर्ष 2005 में छुट्‌टी लेकर आया राजू वापस लौटा ही नहीं। यहां छोटे-छोटे अपराध करने लगा। CRPF में भर्ती होने के बाद से ही वह गांव में फौजी के नाम से प्रसिद्ध हो गया, जबकि उसने कभी फौज की नौकरी ही नहीं की।

पहला मामला वर्ष 2005 में

उसके खिलाफ पहला मामला वर्ष 2005 में जोधपुर के शास्त्री नगर थाने में दर्ज हुआ। अब तक उसके खिलाफ 15 मामले दर्ज हो चुके हैं। छोटे स्तर पर तस्करी करने वाले राजू को कुछ बड़े तस्करों का साथ मिला। उनके साथ काम करते हुए राजू ने वर्ष 2013 से स्वयं के स्तर पर तस्करी शुरू कर दी। इसके बाद उसने अफीम व डोडा पोस्त की तस्करी में जमकर पैसा कमाया। राजू ने तस्करी में सहयोग के लिए कई लोगों को अपने साथ जोड़ लिया। बेखौफ तस्करी करने वाले राजू ने कई हथियार भी एकत्र कर लिए।

सुपारी भी ली

हार्डकोर अपराधी कैलाश मांजू को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसने हाल ही में लाखों रुपए में सुपारी ली थी। वह उसे मार पाता उससे पहले मामला खुल गया और उसके कुछ साथी पुलिस की पकड़ में आ गए। इस बीच उसने अफीम की बड़ी खेप लाने के दौरान भीलवाड़ा में पुलिस के 2 कांस्टेबल की हत्या कर दी। तब से लेकर अब तक वह सुर्खियों में है। पुलिस लंबे अरसे से उसकी तलाश में है।

भरा पूरा है परिवार

राजू फौजी के परिचितों का कहना है कि उसके परिवार में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है। परिवार खेती पर निर्भर रहा है। राजू के दो भाई व तीन बहन थीं। एक बहन की मौत हो गई है। साथ ही उसके खुद के तीन बच्चे हैं। अपने बच्चों को राजू ने हमेशा लाइम लाइट से दूर ही रखा।

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