
पुलिस की छवि हो रही है धूमिल कांस्टेबल समझते है अपने आपको शहर एसपी आईजी





शिव भादाणी
बीकानेर। जिले में खाकी पर कई बार दाग लग चुका है हरबार ये दाग कोई ओर नहीं उनके की कर्मचारियों द्वारा ऐसे दाग लगाये जाते है जो कभी धुल नहीं सकते है जिसमें ज्यादात्तर कांस्टेबल या हैडकांस्टेबल ही शामिल होते है। पिछले कई सालों से देखने में आ रहा है अब जो पुलिस सेवा में आकर समाज की सेवा करने की बात करता है वो अब सिर्फ किताबों व अन्य में सीमित रह गया है। अब तो थानामें तैनात कांस्टेबल व हैड कांस्टेबल अपने आपको शहर के एसपी व आईजी समझते है। अगर गलती तो कोई परिवादी थाने में चला गया और किसी पुलिसकर्मी से कुछ पूछ लिया तो पहले वो बड़े सम्मान सेगाली निकालकर बात शुरु करेंगे और सामने वाले पर इस तरह से हावी होगा जिससे की वो कोई अपराधी है और रात्रि गश्त के दौरान गश्त करने वाली गाड़ी के पुलिस ड्राईवर तो तौबा ही है अगर गलती सेरास्ते में कोई वाहन खड़ा मिल गया तो फिर उनके मुंह से जो निकलता है वो सुनने लायक नहीं होता है पास बैठा पुलिसकर्मी नहीं बोलेंगे वो ड्राईवर ही अपने आपको इलाके का एसएचओ समझता है और शुरुहो जाता है गालियां निकालना कई बार इसको लेकर रात्रि को झगड़ा भी होता है लेकिन साहब पुलिस की वर्दी है और उनके पास हजारों हथकंड़े है सामने वाले को फंसाने के लिए इसलिए लोग रात्रि या दिनमें पुलिस से उलझते नहीं है और उसी का फायदा वो उठाते है। अगर देखा जाये तो बीकानेर शहर के कई ऐसे थाने है जिसमें तैनात पुलिसकर्मियों का व्यवहार आमजन के साथ सही नहीं रहता है वो जब निकलते है तो मानों इलाके का थानाधिकारी व शहर का एसपी निकाला है रास्ते भर सामने आने वाहन चालक या पैदल चलने वालों को बुजुर्ग हो या कोई और उनको इससे कोई मतलब नहीं है वो ऐसी भाषा काप्रयोग करते है जो एक बार तो शर्मसार कर देती है। क्या पुलिस ट्रेनिंग में पुलिस को यही सिखाया जाता है कि आप अब पुलिस बन गये हो और अब आमजन को खुलकर गंदी भाषा का प्रयोग करना।पुलिसकर्मियों को रैवेय सही नहीं है इसका जीता जागत उदाहरण है आईजी ने डिकॉय करवाकर चैक कर लिया कि कांस्टेबल कितने सही है तभी दो कांस्टेबलों को नोटिस जारी हुआ है। ऐसे बहुत है जोअपने इलाके के माफिया है दुकानदारों व टैक्सी चालक फुटपाथ पर सामाने बेचने वाले सभी परेशान है लेकिन किस को शिकायत करें क्योकि उनको अपनी रोजी रोटी कमानी है। आज शिकायत करें कल वो वापस आकर उसको किसी अन्य केस में फंसाकर उसकी जिदंगी बर्बादा कर देते है। पुलिस के बड़े अधिकारी या प्रदेश के मुखिया कितने भी कह दे कि पुलिस आपकी सुरक्षा के लिए लेकिन ऐसे कम ही अधिकारी होते है जो पुलिस में होकर भी आमजन को अपना परिवार समझते है। जिस तरह से खाजूवाला कांड हुआ है उससे तो अब शहर में देर रात निकलने वाली महिला एकदम सुरक्षित नहीं है किसीपुलिसवाले पर विश्वास करें। जानकारी ऐसी मिली है कि शहर में होने वाले अवैध धंधों की जानकारी इलाके के बीट कांस्टेबल व अन्य को होती है लेकिन अपना हिस्सेदारी के कारण उन पर कार्यवाही नहींहोती है। अगर बीट कांस्टेबल को अपने इलाके की जानकारी नहीं है तो फिर वो बीट कांस्टेबल किस चीज का है। उसको सब पता होता है उसके इलाके कौन स्टोरियां है कौन है जो नशे का कारोबार करताहै लेकिन वो उन पर हाथ नहीं डालता है क्योकि वो ही लोग उनकी रात्रि को आवभगत में लगे रहते है। जिससे वो उनकी शिकायत या उनके काम में दखल नहीं देते है कई बार देखा गया है शहर के हिस्ट्रीशीटर सटोरियां व नशे का काम करने वाले थाना में बैठे रहते है जिससे कि आमजन में उनके खिलाफ भय बना रहे कि उनकी शिकायत कही ना करे उनके साथ तो पुलिस है।पुलिस के बड़े अधिकारियों द्वारा समय समय पर कांस्टेबलों को आमजन के प्रति किस तरह पेश आना है उसके बारे में बताना चाहिए कि आमजन की सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है और खाकी पर दाग नहीं लगना चाहिए। प्राय: देखा जाता है कांस्टेबल सब्जी वाले या फुटपाथ पर लोगों से झगडा करते नजर आते है उससे पुलिस की साख गिरती है।
हेलमेट चैकिंग के दौरान अभद्र व्यवहार
पुलिस के द्वारा समय समय पर शहर में हेलमेट चैकिंग अभियान चलाया जाता है उस दिन तो कांस्टेबलों के बल्ले बल्ले हो जाती है फिर तो बिना हेलमेट कोई भी आ जाये चाहे लडक़ा लडक़ी या बुजुर्ग वो किसी को नहीं बख्सते है शुरुआत गाड़ी की चाबी निकालने से लेकर चालान काटने के बाद तक गालियों का बौछारे करते है जिससे कई बार तो लड़कियां शर्मसार हो जाती है लेकिन उनको शर्म नहीं है क्योकि उनमें मानवता खत्म हो गई है अब। अगर कोई उनको टोक दे तो फिर देखों उसके तेवर कांस्टेबल साहब आपा खो देते है फिर अगर गाड़ी का चालान भी काट दिया है तो भी अन्य कमियां बताकर सीज ही करने की कोशिश करेंगे। अगर पुलिस की जीप सडक़ से गुजर रही है और गलती से कोई वाहन चालक आगे चल रहा है तो पुलिस के ड्राईवर को ये पंसद नहीं है वो पहले आगे आने की कोशिश करेंगे चाहे उसको इसके लिए उसको कुछ भी करना पड़े। उनके मुंह से निकलने वाले शब्दों को उस समय ज्यादा शर्मसार होना पड़ता है जब कोई बहन अपने भाई के साथ जा रही है या पत्नी अपने पति के साथ जा रही हो तब पुलिस कांस्टेबलों द्वारा निकाली गई गालियां एकबारगी तो शर्मसार कर देती है यह वो पुलिस है जिसके थाने के बाहर और अंदर लिखा है आमजन में विश्वास है पुलिस।

