Gold Silver

नये जिलों बनाने से अभी सरकार बचेगी:विधायकों को खुश करने में नेताओं को नाराज नहीं करेगी सरकार

जयपुर। नए जिले बनाने का मामला उसी तरह से उलझता दिख रहा है जिस तरह पिछली भाजपा सरकार में उलझ गया था। भाजपा सरकार ने भी इसके लिए रिटायर्ड आईएएस परमेशचंद्र की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर पूरी तैयारी कर ली थी लेकिन जब लगा कि कुछ जिले बनाने से बाकियों की मांग पूरी नहीं होगी और इससे राजनीतिक विवाद बढ़ेंगे तो कमेटी की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। अब कांग्रेस सरकार में भी यह मामला उसी दिशा में जाता दिख रहा है। भास्कर की पड़ताल में सामने आया है कि पांच-छह नए जिले बनाकर सरकार बाकी 50 से ज्यादा विधायकों की मांग को दरकिनार करती है तो चुनावी साल में बखेड़ा खड़ा होने की संभावना है। राजनीतिक दांव-पेच में यह मामला कुछ इस तरह से उलझता जा रहा है कि सरकार चुनावी वर्ष में विवाद में पडऩा नहीं चाहेगी। ऐसे में ज्यादा संभावना यह है कि सरकार रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट आने पर उसे ठंडे बस्ते में डाल सकती है।
सूत्रों का कहना है कि किसी भी शहर को जिला बनाने के पीछे कोई मजबूत या प्रभावशाली राजनेता संघर्षरत नहीं हैं, ऐसे में किसी शहर का जिला बनना फिलहाल बेहद मुश्किल है। वर्तमान सरकार लगातार राजनीतिक अस्थिरता के दौर में रही है। ऐसे में इस सरकार का समीकरण किन्हीं एक-दो विधायक को भी नाराज करने जैसा नहीं है। एक शहर को जिला बनाने पर स्वाभाविक तौर पर उसके पड़ोसी शहरों को आपत्ति है, ऐसे में किसी भी विधायक को खुश करने के लिए किसी अन्य विधायक की नाराजगी सरकार मोल नहीं लेना चाहेगी।
यूं तो कमेटी को करीब 60 शहरों को जिला बनाने के प्रस्ताव मिले हैं, लेकिन इनमें ज्यादातर प्रस्ताव गंभीर किस्म के नहीं हैं। कमेटी को जो तर्क मिले हैं, वे भावुक ज्यादा हैं, प्रशासनिक हिसाब से खरे नहीं उतरते। कुछ शहरों के तर्क ठीक हैं, लेकिन वहां के राजनीतिक समीकरण ऐसे हैं, कि सरकार उन्हें छेडऩा नहीं चाहती।
सूत्रों का कहना है कि पहले से ही बहुत से राजनीतिक परेशानियों से जूझ रही प्रदेश सरकार फिलहाल जिलों के जिन्न को बोतल से बाहर निकाल कर विवादों व नाराजगी का तूफान खड़ा नहीं करना चाहती है। कमेटी के अध्यक्ष रामलुभाया का कहना है कि अभी सभी प्रस्तावों पर अध्ययन चल रहा है।

Join Whatsapp 26