
सरकार मान रही है कोरोना योद्धा,फिर भी वेतन को मोहताज





बीकानेर। एक ओर तो केन्द्र व राज्य सरकार पैरामेडिकल स्टॉफ को कोरोना योद्धा मानकर इन्हें सम्मान देने की बात कर रही है। वहीं दूसरी ओर पीबीएम में कोरोना काल में दिन रात एक कर कोरोना की जंग जीतने में भागीदार बने सहायक रेडियोग्राफर पिछले चार-पांच महिनों से वेतन को मोहताज है। बताया जा रहा है कि पीबीएम में संविदा पर लगे करीब 15 सहायक वेतन को तरस रहे है। इससे परेशान इन क ार्मिकों ने दो दिनों से हड़ताल कर रखी है। जब उन्होंने अपनी बात आलाधिकारियों तक पहुंचाई तो आलाधिकारियों ने समस्या का निस्तारण करवाने की बजाय काम पर न लौटने के हालात में ठेकेदारों को नहीं भर्ती करने के दिशा निर्देश दे दिए है। यहीं नहीं संविदाकर्मियों को अनुभव प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जा रहा है। इनमें से दस कार्मिक आर के मानव सेवा संस्थान तथा पांच जने अमरावती सिक्यूरटी एजेन्सी के कार्मिक है। जब अपने वेतन की गुहार लगाने जिला कलक्टर तक लगा चुके है। किन्तु अब तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ है। विश्वस्त सूत्र बताते है कि पीबीएम अस्पताल की लंचर व्यवस्था के चलते संविदा पर लगे कार्मिकों का जमकर शोषण किया जा रहा है। हालात ये है कि कई संविदाकर्मियों की वेतन कटौती भी की जा रही है। मंजर ये है कि पीबीएम में लगे संविदाकर्मियों को मनरेगा में काम करने वालों से भी कम वेतन दिया जा रहा है। जिससे इन संविदाकर्मियों का जीविकोपार्जन भी मुश्किल हो रहा है। उधर आर के मानव सेवा संस्थान के संचालक रामजी विश्नोई का कहना है कि उनके अधीनस्थ जनवरी तक 15 सहायक रेडियोग्राफर लगे थे। जिनको दिसम्बर तक का वेतन दे दिया गया है। कुछ को जनवरी का वेतन भी मिल गया। फरवरी में अमरावती सिक्यूरटी एजेन्सी को भी ठेका दिया गया। इनके अधीनस्थ पांच सहायक रेडियोग्राफर लगे है। इस एजेन्सी के संचालक गजेन्द्र सिंह का कहना है कि संविदाकर्मियों द्वारा बैंक डिटेंल नहीं देने के कारण वेतन नहीं दिया जा सका है। अगर वे एक दो दिन में अपनी बैंक डिटेंल दे देंगे तो उनको वेतन दे दिया जाएगा।
क्या कहता है नियम
संविदाकर्मियों द्वारा वेतन व नौकरी के दौरान कुछ नियम कायदे राज्य सरकार की ओर से तय किये गये है। इसमें वेतन को लेकर भी यह नियम है कि चाहे एजेन्सी का बिल संबंधित संस्थान की ओर से पास किया गया हो या नहीं। लेकिन एजेन्सी के अधीनस्थ काम करने वाले कार्मिकों का 7 तारीख तक वेतन देना आवश्यक होता है। किन्तु अनेक एजेन्सियां ऐसा नहीं करती। जिसके चलते कई विभागों में संविदाकर्मियों को समय पर वेतन नहीं मिलता। उधर एजेन्सी ठेकेदारों का कहना है कि विभाग उनके बिल समय पर पास नहीं करने के कारण आर्थिक व्यवस्था चरमा जाती है। जिस वजह से वेतन में लेट लतीफी होती है।
वर्जन
हमने सभी एजेन्सियों के बिल पास कर दिए है,संविदाकर्मियों को जल्द ही उनका भुगतान हो जाएगा। अगर वे अपनी हड़ताल नहीं तोड़ते तो ऐसे कार्मिकों को निकालने के लिये भी हमने ठेकेदारों को कह दिया है। मो सलीम,अधीक्षक पीबीएम
एजेन्सी की ओर से हमें समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है,जब इसकी शिकायत करते है तो उन्हें हटाने की बात की जाती है। यहीं नहीं नौकरी छोडऩे के हालात में अनुभव प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जा रहा है। वेतन नहीं मिलने के कारण हमारे परिवारों का पोषण मुश्किल हो गया है। सुनील सहायक रेडियोग्राफर

