
दिव्यांग को पेड़ से बांधा कर रखा,परिजन बोले-खुला छोड़ते ही आक्रामक हो जाता है




दिव्यांग को पेड़ से बांधा कर रखा,परिजन बोले-खुला छोड़ते ही आक्रामक हो जाता है
बीकानेर। बीकानेर के नोखा का कालूराम मेघवाल पिछले 5 साल से पेड़ से ऐसे ही बंधा हुआ है। कालूराम मेघवाल मानसिक रूप से बीमार है। स्थिति ये है कि वह अब केवल अपनी बूढ़ी मां को पहचानता है। वह लोगों पर हमला ना कर दे, इस मजबूरी में परिजनों ने उसे पेड़ से बांधकर रखा है। हमेशा रस्सी से बंधा होने के कारण उसके पैर में घाव भी हो गए है।
धूपालिया गांव की उत्तराधि मेघवालों की ढाणी निवासी कालूराम के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। घर में पैसा नहीं होने कारण परिवार कालूराम का उपचार कराने में भी असमर्थ है।
5 साल पहले ठीक था, अचानक मानसिक संतुलन बिगड़ा
कालूराम की बुजुर्ग मां गौरा देवी और पत्नी बुधी देवी ने बताया- 5 साल पहले कालूराम बिल्कुल ठीक था। लेकिन अचानक उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। इसके बाद वह पागलों जैसी हरकतें करने लगा। कभी-कभी वह लोगों पर पत्थर फेंकने लगा, स्थिति रोजाना बिगडऩे लगी।
जब कालूराम खुला रहता है तो वह आक्रामक हो जाता था। इसी डर से उसे खेजड़ी के पेड़ के पास बांध दिया। पास ही एक चारपाई पर पीने का पानी रखा जाता है। थक जाने पर वह कभी जमीन पर तो कभी चारपाई के पास सो जाता है।
शुरुआती एक साल में कालूराम का इलाज करवाया था। लेकिन आर्थिक स्थिति ज्यादा खराब होने के कारण अब उसका कोई इलाज नहीं चल रहा है।
मां के अलावा किसी को नहीं पहचानता है कालूराम
पड़ोसी अशोक बिश्नोई ने बताया- कालूराम अपने शरीर पर कपड़े भी नहीं रखता और केवल बूढ़ी मां को ही पहचानता है। आसपास कोई अन्य व्यक्ति आता है तो वह आक्रामक हो जाता है। परिवार को अब तक किसी प्रकार की सरकारी सहायता या समुचित चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाई है।
भाई मजदूरी करता था, हादसे में पैर टूटा
कालूराम के एक बेटा और एक बेटी है। दोनों पिता की यह हालत देखकर डर और दुख के माहौल में जीने को मजबूर हैं। बुजुर्ग मां बेटे की दुर्दशा देखकर रोती रहती है। वहीं पत्नी मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुकी है।
कालूराम का बड़ा भाई रेवतराम ईंट-भट्टे पर मजदूरी करता था। एक हादसे में पैर टूटने के बाद वह भी अपाहिज हो गया। उसके आठ बच्चे हैं। परिवार में कोई भी नियमित कमाने वाला नहीं है, जिससे हालात और भी बदतर हो गए हैं। कालूराम भी 5 साल पहले मजदूरी करता था। अब परिवार की महिलाएं खेती और मनरेगा में मजदूरी कर परिवार चलाती है।
लोगों ने सरकारी सहायता और इलाज करवाने की मांग की
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से मांग की है कि पीडि़त परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए। मानसिक संतुलन खो चुके कालूराम मेघवाल का उपचार सरकारी स्तर पर कराया जाए।




