
एक एफआईआर से विभाग हो रहा है गुमराह,नहीं कर करा आगामी कार्यवाही






खुलासा न्यूज,बीकानेर। जिले में अवैध खनन और इसके अवैध भंडारण को लेकर एक ओर तो सरकार व प्रशासन अपने आप को गंभीर बताकर कार्यवाहियों के दावे करती है। लेकिन हकीकत इससे परे है। हालात यह है कि जिन अवैध जिप्सम फैक्ट्रियों पर कार्यवाही की जाती है या तो वहां कम जिप्सम होना बताया जाता है या संबंधित फैक्ट्री मालिक को नोटिस देकर जबाब देने को कहा जाता है। किन्तु दिए गये नोटिस की मॉनिटरिंग नहीं की जाती। ऐसा ही प्रकरण दंतौर की हाई जिप्सम इन्डस्ट्रीज का है। जहां परिवादी निर्मल कुमार बिन्नाणी की शिकायत के बाद जागे खनिज विभाग की ओर से मौका निरीक्षण किया गया। यहां 1500 टन जिप्सम पाये जाने के बाद विभाग की ओर से फैक्ट्री मालिक सुबोध कल्याणी को नोटिस जारी कर फैक्ट्री में पड़े जिप्सम की जानकारी मांगी। जिस पर कल्याणी ने क ोटगेट थाने में दर्ज एक एफआईआर का हवाला देते हुए विभाग से पल्ला झाड़ लिया। जिसमें शिकायतकर्ता निर्मल कुमार बिन्नाणी द्वारा उनके दस्तावेज चुराने का मामला दर्ज करवाया गया और दस्तावेज मिलने के बाद विभाग को इस 1500 टन की जानकारी देने की बात कही।
खनिज विभाग ने नहीं की बारिकी से जांच
मजे की बात तो यह है कि खनिज विभाग ने सुबोध कल्याणी द्वारा अपने ढाल के रूप दी गई एफआईआर की कॉपी को बारिकी से जांच करना उचित नहीं समझा। अगर फैक्ट्री संचालक और जिप्सम बेचने वाली फर्म ने जीएसटी नंबर ले रखा है तो विभाग वाणिज्यिक व कर विभाग में प्रति माह दी जाने वाली कर रिपोर्ट के फैक्ट्री संचालक से मंगवा सकता था और फैक्ट्री संचालक भी अपने प्रतिमाह विभाग में पेश किये जाने वाले रिटर्न के आधार पर खनिज विभाग को अपनी फैक्ट्री में पड़े 1500 टन के जिप्सम की अधिकृत जानकारी दे सकता था। लेकिन न तो खनिज विभाग ने इतनी जहमत उठाई और न ही फैक्ट्री संचालक ने। ऐसे में कही न कही खनिज विभाग की ओर से ठोस कार्यवाही न करना संदेह के घेरे में आता है।
181 पर भी शिकायत फिर भी नहीं हो रही सुनवाई
परिवादी निर्मल कुमार बिन्नाणी का कहना है कि 10 अप्रेल 21 को ऑनलाइन 181 संपर्क पॉर्टल पर भी शिकायत की। उसके बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। जबकि सरकार की ओर से इस पॉर्टल की शिकायतों को त्वरित निस्तारण के दावे किये जाते है। इसके अलावा 15 अप्रेल को जिला कलक्टर व खनिज अभियंता के साथ आयकर विभाग व अन्य टैक्स संबंधित विभागों को भी इसकी शिक ायत व एक सप्ताह बाद पुन:स्मरण पत्र विभागों को भेजे गये है। फिर भी सुनवाई नहीं हो रही है। बिन्नाणी ने बताया कि उनके खिलाफ शिकायतों में उनकी ओर प्रस्तुत किये जाने वाले दस्तावेजों को भी न तो पुलिस थाना ले रहा है और न ही मेरी परिवाद पर एफआईआर दर्ज की जा रही है।


