शहर का भाटों का बास बना नशे का सबसे बड़ा अड्डा - Khulasa Online शहर का भाटों का बास बना नशे का सबसे बड़ा अड्डा - Khulasa Online

शहर का भाटों का बास बना नशे का सबसे बड़ा अड्डा

खुलासा न्यूज बीकानेर। नशा और युवाओं का साथ अब चोली दामन जैसा हो गया है शहर का युवाओं वर्ग इसमें पूरी तरह लिप्त हो चुका है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसा नयाशहर के भाटों का बास नशे का बड़ा अड्डा बना हुआ है। इस इलाके में रात होते ही 13 साल से लेकर 50 साल तक लोग गांजा, अफीम की सप्लाई करते है। क्षेत्र की गली गली में गांजा आसानी से मिल जाता है। बताया जा रहा है गांजे के बड़े व्यापारी है जो छोटे-छोटे भागों में अपना माल दूसरों को दे रखा है जिनको कमीशन देते है। शाम होते ही भाटों के बास में चहल- पहल दिन से ज्यादा शुरु हो जाती है। शहर का प्रत्येक नशेड़ी इसी इलाके से नशे का सामान खरीदता है। लेकिन इसकी भनक पुलिस को नहीं है। जब इतने बड़े स्तर पर नशे का कारोबार हो रहा है और पुलिस को भनक तक नहीं है ऐसा नहीं हो सकता है? क्षेत्र के दो चार तो सप्लायर ऐसे भी है जो पुलिस के ईदर्गद रहते है लेकिन पुलिस को भनक नहीं है या पुलिस ने छुट दे रखी है।
चीलम से होता है गांजे का सेवन
अगर देखा जाये तो सांसलोव तालाब, हर्षालावा तालाब, बिन्नाणी कॉलेज के पास, गोविन्द पैलेस के पास, मोहता सराय, गोपेश्वर बस्ती, छबीली घाटी, गोगागेट, चौपड़ा बाड़ी, सुजानदेसर,लालगढ़, मुक्ता प्रसाद,मुरलीधर व्यास कॉलोनी, शीतल गेट आदि क्षेत्रों में नशे का बड़ा कारोबार है जहां पर 24 घंटे नशा बिकता है। युवा वर्ग गांजे का सेवन चीलम से करते है शाम होते ही इन इलाको धुंए से पूरे इलाके में गांजे की महक फैल जाती है।
वारदातों का होना मुख्य कारण नशा
शहर में पिछले कई महिनों से हत्या, मारपीट, लूट जैसी जो घटनाएं हो रही है उसके सब के पीछे कारण एक ही है नशा नशे में वारदात करने वाला सबकुछ भूल जाता है।छोटी छोटी बाते एक बड़ी वारदात में बदल जाती है। पुलिस की लाख कोशिश के बाद भी नशे रोकने में पुलिस कामयाब नहीं हो रही है।
युवा टोली में शामिल हो रहे है शहर के अच्छे लडक़े
अगर देखा जाये जो शहर के 10- 12 ऐसे लडक़े है जिन्होंने एक टोली बना रखी है जिनका काम सिर्फ नशे के सामान को इधर-उधर करना और नये लडक़ों को इसमें शामिल करना है। शहर के जितने भी अच्छे घरों के लडक़े नशे में लिप्त हुए तो उस टोली के सदस्यों के संपर्क में आते ही लडक़े नशे में लिप्त हो जाते है। नशा अब फैशन बन गया है नशा करने के बाद बाइक में देर रात तक घुमना, बुलट गाडियों के फाटका बजाना, आने जाने वालों को रोककर उनसे छीना झपटी करने जैसे कार्य करते है। अगर पुलिस समय रहते इन पर कोई बडी कार्यवाही नहीं की तो आने वाले समय में नशा शहर के लिए नासूर बन जायेगा। जिसके दल से निकलना बड़ा मुशिकल है।
सबसे ज्यादा नशा बेचते है मेडिकल स्टोर
शहर में सबसे ज्यादा नशा मेडिकल स्टोर वाले बेचते है मेडिकल स्टोर पर बिकने वाली कफ सीरप, नीद की गोलियां, एलर्जी की गोलियां जिससे नशा करते है इससे मेडिकल स्टोर वालों के बैठे- बैठे चांदी हो गई है। मेडिकल स्टोर संचालक कफ सीरप की शीशी दिन में 30 रुपये बेचते है तो वहीं शीशी रात को 12 बजे के बाद 200 रुपये में बेच रहा है।मेडिकल स्टोरों पर प्रतिबंधित दवाई बिकती है क्योकि औषधी नियंत्रण विभाग मेडिकल स्टोरों पर जांच करने नहीं जाते है इसका मुख्य कारण है आपसी मिलीभगत? अगर औषधी नियंत्रण विभाग मेडिकल स्टोरों पर जांच करे तो उनके यहां प्रतिबंधित दवाईओं का भंडार मिल सकता है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक जने ने बताया कि शहर का ही एक मेडिकल स्टोर संचालक शाम होते ही शहर में कफ सीरप व गोलियां बेचने के लिए निकल जाता है। जो करीब रात को 3 तीन बजे तक शहर के अलग अलग इलाको में बेचता है। फोन पर माल पहुंच जाता है लेकिन पुलिस की पकड़ में अभी तक नहीं आया है।

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