
मौत की गौशाला बनती जा रही है शहर नथाणिया,देखे विडियो
















बीकानेर। वैसे गाय को माता का दर्जा दिया गया है और इसी गाय को लेकर लंबे समय तक राजनीतिक पार्टियां चुनाव भी लड़ती आ रही है। लेकिन इसी गाय की किसी तरह बेकद्री हो रही है। इसका नजारा देखना है तो बीकानेर की शहर नथाणिया गौशाला चले आयें। जहां रोजाना गायों के मरने का सिलसिला जारी है। जानकारी मिली है कि पिछले चार महिनों के आंकड़ों पर नजर डाले तो सामने आया है कि क रीब 1600 से 1800 के करीब गायें इस गौशाला में अकाल की काल का ग्रास बन गई है। जबकि नगर निगम बीकानेर की ओर से लाखों रूपये गौशाला के रखरखाव व गायों की खाने-पीने व सुरक्षा के लिहाज से गौशाला संचालक को दिये जा रहे है। किन्तु निगम की मॉनिटरिंग के अभाव में प्रतिदिन भूख-प्यास के अभाव में गायें मर रही है।
ये है मरने का आंकड़ा
अगर निगम के ही आंकड़ों पर गौर करे तो नवम्बर से 31 मार्च तक 4371 पशु इस गौशाला में आएं। इनमें से 1395 पशुओं की मौत हो गई,276 पशु लोग छुडाकर ले गये और 2700 पशु गौशाला में शेष रह गये। नवम्बर 19 में निगम की ओर से करवाएं गये सर्वे में इस गौशाला में 100 गायों के करीब थी। वहीं दिसम्बर के बाद इसका आंकड़ा बढ़ता गया। लेकिन जैसे जैसे आंकड़ा बढ़ा,वैसे वैसे मरने वाली गायों के ग्राफ में भी बढ़ोत्तरी होती गई। इसको लेकर अनेक बार पार्षदों की ओर से भी आवाज उठाई जाती रही है। विगत 4 अप्रेल को भी 95 गायों के मरने के बाद गौशाला में निर्दलीय व कांग्रेसी-भाजपा पार्षदों ने जमकर हंगामा किया। तब निगम आयुक्त व अन्य अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जैसे तैसे करके एक बारगी मामला शांत करवाया और आन्दोलकारियों को आश्वस्त किया कि गौशाला के हालात को सुधारा जाएगा। परन्तु आज 18 दिनों बाद भी हालात जस के तस बने हुए है। जानकारी मिली है कि प्रतिदिन 15 से 17 गाय व उनके बच्चे मारे जा रहे है। इस आंकड़ें के आधार पर ही चले तो पिछले 18 दिनों में 300 से 400 के गायों के मरने की खबरें आ रही है। उसके बाद भी निगम प्रशासन की अकर्मण्यता के चलते यहां का संचालक लाखों रूपये कमा गौवंश को संकट में डाल हुए है।
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गौशाला को करोड़ो का अनुदान
जानकारी मिली है कि शहर नथानिया गौशाला को निगम की ओर से एमओयू के अनुसार करोड़ो का अनुदान दिया जाता है। जिसमें पशुओं के रखरखाव व भोजन,रहने की व्यवस्था की जाने के दिशा निर्देश दिये गये है। किन्तु करोड़ो रूपये के अनुदान के बाद भी यहां का संचालक सही तरीके गायों को खाने के लिये चारा व पर्याप्त व्यवस्था नहीं की जा रही है। जिसके चलते पिछले चार महिने में 1600 से 1800 पशु मारे गये है। जिनको मृत पशु उठाने वाला नियमित रूप से ले जा रहा है। इनमें गौ वंश के अलावा बछड़े भी शामिल है।
पूर्व मेें विरोध के बाद भी खस्ता हाल
शहर नथानिया गौशाला हमेशा से ही विवादों में रही है। उसके बाद भी निगम प्रशासन इस पर शिकंजा कसने में अपने आप में लाचार साबित हो रहा है। कई बार पशुओं की मौत के बाद गौ समर्थकों के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि भी हंगामें करते रहे है। उसके बाद भी निगम प्रशासन इस गौशाला संचालक पर ठोस कार्यवाही न करने के चलते सवालों के घेरे में है।
गौ संरक्षण की बजाय हो रही है खेती
हालात ये है कि इस गौशाला के संचालक यहां रह रहे गौवंश के संरक्षण की बजाय गेहूं की खेती करने में पिछले चार महिनों से व्यस्त रहा है। जिसका प्रमाण भी 4 अप्रेल को अधिकारियों के सामने आ चुका है। उसके बाद भी न तो जिला प्रशासन ने इस मामले को संज्ञान में होते हुए कोई कार्यवाही की और न ही कुंभकर्णी नींद में सोये निगम प्रशासन ने कोई ठोस कार्यवाही की। जिसके चलते संचालक के हौसले इतने बुलंद हो गये है कि कोई सजग नागरिक उन्हें इस बारे में उलाहना देता है तो संचालक व उनके यहां काम करने वाले उसको देख लेने की चेतावनी तक दे डालते है।
पिछले दो दिनों से प्रशासन को चेताने के बाद भी ध्यान नहीं
मंजर ये है कि पिछले दो दिनों से लेखराम नाई नाम के एक सजग नागरिक द्वारा शहर नथाणिया गौशाला में गौवंश के बुरे हालात और रोजाना मर रहे गौवंश की फेसबुक लाईव के जरिये आमजन व प्रशासन को भी इसकी जानकारी दी। किन्तु अभी तक सोया निगम प्रशासन इस ओर ठोस कार्यवाही करने की बजाय कोरोना संक्रमण के बचाव के लिये वाही वाही लूटने के काम में लगा है।


