
एक महीने तक स्कूल में रखे बम ने फैलाये रखी दहशत






बाड़मेर
प्रदेश के बाड़मेर जिले का एक गांव शनिवार को धमाकों की गूंज से दहल उठा। ग्रेनेड के धमाके की गूंज कई किलोमीटर तक सुनाई दी । वहीं इसी सुनकर हर हैरान हो गया। बाड़मेर में अचानक हुए बम के धमाके को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि यहां ऐसा धमाका क्यों हुआ। दरअसल पुलिस अधीक्षक नरपत सिंह ने अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1965, 1971 और साल 1999 के ऑपरेशन पराक्रम के वक़्त काम में लिए गए बम और बिछाई गई लेंड माईनस अभी भी कई जगहों पर जमीन में है। युद्ध के दौरान कई बम नहीं फटे थे और वह आज भी सरहदी जिलों के खेतों में निकलते रहते हैं। आज इनमें से एक बम का निस्तारण किया गया। इसके तहत गड्ढ़ा खोद बम को वीरान इलाके में डाला गय़ा, इसके बाद इसके धमाके की गूंज पूरी सरहद में गूंजती रही।
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जैसिंधर गांव में मिला था बम
मिली जानकारी के अनुसार बाड़मेर के जैसिंधर गांव में बीते महीने एक जिंदा हैंड ग्रेनेड बम मिला था। इसे ही आर्मी (Army) और पुलिस ने डिस्पोजल किया है। केंद्रीय विद्यालय जैसिंधर के पास मिले इस हैंड ग्रेनेड बम का सेना प्रोटोकॉल के बीच निस्तारण किया गया। सेना के मेजर शारश्वत शुक्ला के नेतृत्व मे गडरारोड पुलिस थानाधिकारी ओमप्रकाश मय जाब्ता इस पूरी प्रक्रिया के दौरान मौजूद रहे। दरअसल मीडिया में बाड़मेर में ग्रेनेड की खबर सामने आने के बाद सेना ने पुलिस के साथ मिलकर 20 मार्च को हेड ग्रेनेड बम का निस्तारण किया। इस पूरी प्रक्रिया में हेड कांस्टेबल तिरलोक सिंह एव सुरेन्द्र सिंह की अहम भूमिका रही।


