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खून-खराबे के साथ अमेरिका को अफगानिस्तान से विदा करना चाहता है आतंकी संगठन

तालिबानी कब्जे के बाद अफगानिस्तान के हालात दिन पर दिन बिगड़ते जा रहे हैं। काबुल एयरपोर्ट पर हुआ ब्लास्ट इसका जीता जागता उदाहरण है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संगठनों की मंशा है कि 31 अगस्त को जब अमेरिका काबुल से विदा हो तो उसके दामन पर खून के धब्बे जरूर हों।

26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर हुआ सीरियल बम ब्लास्ट भी आतंकियों की इसी रणनीति का हिस्सा था, जिसमें 13 अमेरिकी सैनिकों समेत 170 लोगों ने अपनी जान गंवा दी।

द वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने का निर्णय लिया, तब एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी थी कि इस्लामिक स्टेट से जुड़े आतंकी वापसी मुहिम को एक खूनी तमाशे में बदलने की कोशिश करेंगे। एक्सपर्ट्स ने बताया कि, आतंकवादियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि व्हाइट हाउस में कौन बैठा है। वे इस बात से भी बेपरवाह हैं कि अफगानिस्तान की सत्ता में अब तालिबान का कब्जा है।

अफगान में पल रहे आतंकियों के तीन लक्ष्य
अमेरिकी सैन्य अकादमी में असिस्टेंट प्रोफेसर अमीरा जादून ने आईएसआईएस-के (ISIS-K) के बारे में लिखती हैं- अफगानिस्तान से बिना शर्त अमेरिकी सेना की वापसी और तालिबान का कब्जा आतंकी संगठनों के लिए सबसे स्वीकार्य वातावरण लाएगा। जादून ने कहा, ‘और यही अब हम देख भी रहे हैं।’

जादून लिखती हैं, ISIS-K का अभी के माहौल में तीन प्रमुख मुख्य लक्ष्य हैं। ‘पहला- राजनीतिक रूप से प्रासंगिक रहना। दूसरा- अफगानिस्तान को स्थिर करने के प्रयासों को बाधित करना और तीसरा- अफगान तालिबान की विश्वसनीयता को कम करना है।’

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