
शहर में जारी है आवारा पशुओं का आतंक,अब ये नेता आएं चपेट में,दौड़ रहे है कागजी घोड़े



खुलासा न्यूज,बीकानेर। शहर में आवारा मवेशी जानलेवा साबित हो रहे हैं। आए दिन लोग इनके हमले में घायल होते हैं और निगम प्रशासन तथा जिला प्रशासन महज कागजी घोड़े दौड़ाकर जनभावनाओं को आहत पहुंचाने का काम कर रहे है। हालात यह है कि पिछले एक पखवाड़े में मुरलीधर व्यास नगर में आवारा पशुओं के आतंक की दूसरी घटना हो गई है। जिससे वहां के लोगों में रोष है। स्थानीय पार्षद सुधा आचार्य ने निगम का दरवाजा कितनी बार खटखटा लिया,लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अपने ही बोर्ड में उनकी सुनवाई तक नहीं हो रही है। अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो एक साल में आवारा पशुओं के हमले में 1235 लोग घायल होकर पीबीएम अस्पताल पहुंचे हैं। जबकि इनके हमलों में चार लोगों की मौत हो चुकी है। एक बुजुर्ग ने असहनीय पीड़ा से तंग आकर फांसी लगा ली थी। इतना गंभीर मामला होने के बावजूद नगर निगम बेफिक्र है। पिछले दिनों एक महिला पर हमले के बाद कलेक्टर नमित मेहता ने कमिश्नर ए एच गौरी को तलब किया था। रोज 100 पशु पकडऩे के आदेश दिए थे,लेकिन 20-25 से ज्यादा नहीं पकड़े जा रहे हैं। यानी कलेक्टर के आदेश को भी निगम हल्के में ले रहे। श्रमिक नेता हुए घायल बताया जा रहा है कि सोमवार सुबह एक बार फिर भाषा साहित्य अकादमी वाली रोड पर श्रमिक नेता गौरीशंकर व्यास को आवारा पशुओं की मार झेलनी पड़ी। इस घटना में उनके पीठ में गंभीर चोटें आई है। मंजर यह है कि वे चलने में भी असक्षमता महसूस कर रहे है। यहीं नहीं उनके पांव में फैक्चर भी हुआ है। शहर में करीब 25 हजार बेसहारा पशु हैं, लेकिन ठेका मात्र 600 सांड पकडऩे का ही किया गया है। सिस्टम इतना कमजोर पड़ चुका है कि शनिवार तक एक भी मवेशी नहीं पकड़ा गया। इनकी हुई मौत वर्ष 2018 में मुक्ता प्रसाद नगर में रहने वाले 70 वर्षीय काशीराम चौधरी ने खिड़की की ग्रिल में रस्सी बांधकर फांसी लगा ली थी। वे असहनीय पीड़ा से आजिज आ चुके थे। 2017 में घर के बाहर ही एक सांड ने उन पर हमला कर दिया था। हमले में कूल्हे की हड्डी टूट गई थी। ये असहनीय पीड़ा अब बर्दाश्त नहीं कर सकता और फांसी लगाकर ईहलीला समाप्त कर ली। वहीं 6 अगस्त, 2019 को गजनेर रोड पर एक डॉक्टर के घर के सामने बेसहारा पशुओं के हमले में 60 वर्षीय संतोष देवी की मृत्यु हो गई थी। उनका 30 साल का बेटा चैनसुख मानसिक रोगी है। बिस्तर में ही टॉयलेट करता है। इससे बड़ा रामदेव एक पैर से दिव्यांग है। दोनों बेटों की देखभाल संतोष देवी ही करती थीं। मुआवजे को लेकर पति कोर्ट की शरण में है। इधर सर्वोदय बस्ती में नृसिंहसागर तालाब के पास रहने वाले 75 वर्षीय हनुमान सिंह पर 15 अक्टूबर, 2017 को सांड ने हमला कर दिया था। उन्हें पीबीएम हॉस्पिटल के ट्रोमा सेंटर में भर्ती कराया गया। दो महीने तक इलाज चला। लेकिन ठीक नहीं हो सके। उसी साल दिसंबर में उन्होंने दम तोड़ दिया। वर्ष 2009 में सांड की टक्कर से डाक कर्मी की मौत हो गई थी। परिजन निगम के खिलाफ कोर्ट में चले गए। 2012 में केस का फैसला हुआ और निगम को 12.50 लाख का हर्जाना पीडि़त परिवार को देना पड़ा। इसी प्रकार एक अन्य घटना में अमरसिंहपुरा निवासी 90 वर्षीय रामचंद्र को सांड ने इस कदर मारा कि वे यादाश्त ही खो बैठे। दो बार सिर का ऑपरेशन हुआ। एक साल तक बिस्तर पर पड़े सांसें गिनते रहे और एक दिन दुनिया छोड़ गए।


