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तहसीलदार ने एसएचओ शेखावत को बुलाया फिर आरटीआई एक्टिविस्ट व उसके भाई को पीटवाया, मुकदमा दर्ज

खुलासा न्यूज, बीकानेर। तहसीलदार द्वारकाप्रसाद शर्मा ने एसएचओ अरविन्द शेखावत को बुलाकर आरटीआई एक्टिविस्ट व उसके भाईयों के साथ मारपीट करवाने का सनसनीखेज मामला अब तूल पकडऩे लगा है। इस मामले को लेकर तहसीलदार व एसएचओ, सब इंस्पेक्टर व एएसआई व कांस्टेबल के खिलाफ आईपीसी की धारा 269, 270, 166, 167, 217, 323, 341, 120 बी, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 व राजस्थान महामारी अधिनियम 2020 की धारा 4 और 5 में नोखा पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है।

आरोप है कि घटना के वक्त रामरतन की दुकान पर उसका कर्मचारी था। जिसका फोन आने पर वह अपने भाई पवन के साथ दुकान पर गया। जहां थानाधिकारी अरविंद सिंह ने मां की गालियां दी तथा उसके साथ मारपीट की। आरोप है कि उसके कृषि उपकरणों की दुकान है जो अनुमत है, बावजूद इसके तहसीलदार ने पांच सौ रूपए का चालान काट दिया। रामरतन का कहना है कि कुछ माह पूर्व उसने उपखंड अधिकारी के कार्यालय के समक्ष धरना किया था। उस समय अरविंद सिंह शेखावत से बातचीत हो गई थी। शेखावत ने भविष्य में देख लेने की धमकी दी थी, उसी के परिणामस्वरूप ऐसा किया गया।

दोनों भाइयों को जूतों से, बंदूक की बटों से पीटा : पीडि़त

सोमवार सुबह करीब 10:30 बजे तैयार होकर पांचू जाने वाला था कि दुकान से उसके कर्मचारी का भाई पवन के पास फोन आया। कहा-दुकान पर पुलिस आई है। पवन ने कहा, दुकान बंद कर दो। कर्मचारी बोला- 500 रुपए जुर्माना मांग रहे हैं। पवन बोला-दे दो। उसने कहा- गल्ले में इतने रुपए नहीं हैं। तब पवन ने कहा, हम आ रहे हैं। मैं और पवन दुकान पर पहुंचे। वहां तहसीलदार द्वारकाप्रसाद शर्मा, थानेदार अरविंद सिंह और पुलिस के जवान खड़े थे। मैंने तहसीलदार से कहा कि कृषि उपकरणों की दुकान है। अभी बंद कर देते हैं। मैं और तहसीलदार बात कर रहे थे कि थानेदार ने गाली निकाली और बदतमीजी की। मैंने तहसीलदार से कहा कि हम आपकी इज्जत करते हैं, यह गलत बात है। तो उन्होंने भी गाली गलौज शुरू कर दी।

मुझे थानेदार अरविंद सिंह ने पकड़ लिया और रणवीर एसआई ने लात घूसों से मारपीट की। मैंने मेरा बचाव किया।  मुझे घसीटते हुए पुलिस की गाड़ी में डालकर थाने ले गए। जहां हम दोनों भाइयों के साथ जूतों से, पटों से, बंदूक की बटों से मारपीट की। मेरी आंख व कान से खून आने लगा। 15 मिनट बाद फिर मारपीट की।

तबीयत बिगड़ने की शिकायत ती तो मुझे बागड़ी रेफरल अस्पताल ले गए। वहां चिकित्सकों ने मुझे बीकानेर दिखाने का कहा। लेकिन पुलिस वापस थाने लेकर आ गई। शाम को कहा, आपको क्वारेंटाइन किया जा रहा है। हम दोनों भाइयों को विश्नोई धर्मशाला भेज दिया गया। पुलिस के दो जवान हमारी चौकसी के लिए लगा दिए थे। पुलिस ने हमें किसी प्रकार की कोई दवाई नहीं दी। सुबह जब वापस कहा कि तकलीफ हो रही तो अस्पताल ले गए।

 

घटना बेहद संवेदनशील

पुलिस की यह बर्बरता सवाल खड़े करती है। पुलिस का काम कानून पालना करवाना व आमजन को सुरक्षा प्रदान करना है, इसके उल्टे वह बर्बरता करती नज़र आई। ऐसे में आम आदमी कहां जाएगा। क्या ग़लत के खिलाफ उठने वाली आवाजों पर पुलिस इसी तरह से असंवैधानिक कृत्य करेगी? घटना बेहद संवेदनशील है। अमानवीय भी है।

 

 

 

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