शिक्षिकाओं को कार्यालय में रोकना पड़ा भारी

शिक्षिकाओं को कार्यालय में रोकना पड़ा भारी

बीकानेर। शिक्षा विभाग में अंधेरगर्दी किस कदर हावी है। इसकी बानगी जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक कार्यालय में देखने को मिली है। जहां शहरी क्षेत्र में पदस्थापन की सख्त नीति बनाई थी, वहीं जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के एक बड़े बाबू ने तीन शिक्षिकाओं की न केवल 53 दिन तक कार्यालय में उपस्थिति दिलवाई बल्कि शहरी क्षेत्र के स्कूलों में पदस्थापन तक कर दिया।

आश्चर्य की बात यह है कि इस मामले में शिक्षक संगठन भी मौन रहे। दो वर्ष पुराने इस मामले में 53 दिन का वेतन ट्रेजरी से पास नहीं होने पर मामला संयुक्त निदेशक के पास पहुंचा, जिन्होंने जांच के बाद वरिष्ठ लिपिक का तबादला पूगल कर दिया और तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी, एडीईओ तथा वरिष्ठ लिपिक के खिलाफ गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए चार्जशीट के लिए राÓय सरकार को प्रस्ताव भेजा है।

क्या है पूरा मामला
शिक्षा सत्र 2017-18 में कस्तुरबा गांधी आवासीय विद्यालयों से अधिशेष तीन शिक्षिकाओं को निदेशालय ने एपीओ कर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक कार्यालय भेज दिया, जहां जिला शिक्षा अधिकारी को उनका पदस्थापन करना था। परन्तु कार्यालय के एक बड़े बाबू ने फाइल तक जिला शिक्षा अधिकारी के सामने पुटअप नहीं की और अपने स्तर पर अध्यापिकाओं को 53 दिन तक कार्यालय में रखा और बाद में उनका पदस्थापन शहरी क्षेत्र की स्कूलों में करवा दिया।

यूं खुली पोल
शहरी क्षेत्र के स्कूलों में पदस्थापित होने के बाद अध्यापिकाओं ने 53 दिन के बकाया वेतन को लेकर प्रयास शुरू किए लेकिन उनके बिल आक्षेप लगकर वापस लौट आए। ट्रेजरी ने भी बिना पदस्थापन के 53 दिन तक एपीओ रखने का कारण पूछा। मामला उ’च स्तर पर पहुंचा। इसकी कई स्तर पर जांच हुई और मामला निदेशक तक पहुंच गया। इस मामले में संयुक्त निदेशक देवलता ने गंभीरता दिखाते हुए बड़े बाबू का तबादला कर चार्जशीट की कार्रवाई शुरू कर दी।

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