
बीकानेर में चाय की दुकानें बनी बदमाशों का बड़ा अड्डा, देर रात दुकानों पर रहता है बदमाशों का बोलबाला






shiv bhadani
आखिर क्यों खुली रहती है आधी रात तक दुकानें
बीकानेर। बीकानेर शहर शांतिप्रिय शहरों की गिनती में आते है तभी इसका नाम छोटी काशी कहा जाता है लेकिन पता नहीं पिछले कुछ सालों से इस शहर को किसी की नजर लग गई है। अब तो आये दिन फायरिंग चाकूबाजी आदि बड़ी घटनाएं रोज होती है। लेकिन उसके बाद भी पुलिस कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर रही है। शहर के कई ऐसे इलाके है जहां देर रात तक दुकानें खुली रहती है जहां पर बदमाश प्रवृत्ति के लोगों का जमावाड़ा रहता है। लेकिन पुलिस की लापरवाही के कारण ये हादसे सामने आ रहे है क्योकि अगर देखा जाये तो पिछले काफी समय से कई नाकों से पुलिस को हटा लिया है और गश्ती टीम भी एक चाय की दुकान पर खड़ी हो जाती है वहीं से अपनी ड्यूटी पूरी करती नजर आती है। देर रात तक शहर कें बिना नंबर गाडियां, काले शीशे लगे स्कोर्पियों गाडिय़ों घुमती है उनको रोककर कोई पूछने वाले नहीं है आप कहां से आये और कहां जाऊगां। अभी कुछ दिन पहले ही शहर के मोहता चौक, बारह गुवाड़ा चौक आदि इलाको से एक पिकअप चालक ने तेज रफ्तार में गाड़ी चलाते हुए निकला जिसकी चपेट में करीब 50 से 80 मोटरसाइकिल व कुछ व्यक्तियों को लगी मामला नयाशहर थाने तक पहुंवा भी था लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई जिससे बदमाशों के हौसले बुलद होते है। शहर के मुक्ताप्रसाद, जस्सूसर गेट, बड़ा बाजार, मोहता का चौक, बारह गुवाड़ा, नत्थुसर गेट, वाल्मीकि बस्ती, शीतलगेट, गोपेश्वर बस्ती, जयनारायण व्यास कॉलोनी, लक्ष्मीनाथ मंदिर के पास, करमीसर चौराहें आदि इलाकों में बनी खाने पीने की दुकानें व चाय की दुकानों पर जमकर भीड़ रहती है जहां पर आये दिन झगड़े होते रहते है। कभी कभार तो फिल्मी स्टाईल में गाडिय़ों को आमने सामने भिड़ंत करवाते है।
क्या पुलिस पर दुकान नहीं बंद करवाना का दबाब
देर रात तक खुली रहने वाली दुकानों को लेकर आमजन ने स्थानीय थानों में कई बार शिकायत दी है लेकिन पुलिस ने आजतक रात को दुकानें बंद नहीं करवाई है जिसका नतीजा सामने आया है कि एक परिवार ने अपना लाल खो दिया है। अगर पुलिस समय रहते इन दुकानों को समय पर बंद करवाने की व्यवस्था करवा दें तो फिर कोई बहन अपना भाई और मां अपने लाल को नहीं खोए।


