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बीकानेर में सिस्टम मौन / सिर्फ़ पैसा कमाने के चक्कर में लोगों की जान जोखिम में डालने का रचा जा रहा है प्लान

– संपादक कुशाल सिंह मेड़तिया की विशेष रिपोर्ट

खुलासा न्यूज़ , बीकानेर । मौके की जमीन का फायदा उठाने में किसी भी प्रकार की चूक नहीं करने वाले लोगों में इन दिनों बीकानेर में बहुमंजिला मार्केट बनाने की मानों शर्त लगी है। सच्चाई तो यह है कि इनमें से अधिकांश लोगों को यह पता तक नहीं है कि सिर्फ पैसा कमाने के चक्कर में किस तरह ये लोगों की जान को जोखिम मे डाल रहे हैं और अंधाधुंध मार्केट बनाते जा रहे हैं। तोलियासर भैरूजी की गली और अन्य कई मार्केट में इतने मार्केट बन गए हैं कि कोई गिनती ही नहीं है। जिस गली से पैदल निकलने पर आधे घंटे लग जाता हैं। वहां इतने मार्केट बनाने की छूट किस आधार पर मिली, यह तो नगर निगम जाने लेकिन तथ्य यह है कि मार्केट्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हालांकि इस तरह के मार्केट को नियमानुसार बनवाने के बाकायदा नेशनल बिल्डिंग कोड बना हुआ है लेकिन इसकी परवाह किसे है, यह सवाल पतली गलियों में बने मार्केट्स देखकर खुद ही खड़ा होता है।

हैरतअंगेज तथ्य तो यह है कि प्रशासन को इस बात की परवाह ही नहीं है कि इस शहर में प्रतिदिन सैकड़ों लोग इन अमानक और खतरनाक बने मार्केट्स में जान हथेली पर लिए फिरते हैं। शहर में स्थित अधिकांश मार्केटों के निर्माण में नियमों की पालना नहीं की गई है। हैरानी की बात तो यह है कि सब कुछ जानकर भी प्रशासन इन मार्केट मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

गौरतलब है कि शहर में पचास से ज्यादा ऐसे मार्केट हैं जिनका निर्माण नियम-कायदों को ताक पर रख कर हुआ है। खासतौर से ये मार्केट चहल-पहल वाले इलाकों में बन रहे हैं मालिकों ने अपने स्वार्थ के लिए मार्केट तो बनवा लिए और उनमें स्थित दुकानों को दिया है। लाखों रुपए का मुनाफा कमा कर व्यापारियों को बेच दिया। लेकिन मार्केट के निर्माण में राष्ट्रीय भवन संहिता का जरा भी ध्यान नहीं दिया। राष्ट्रीय भवन संहिता के मुताबिक व्यवसायिक बहुमंजिला मार्केट नहीं बनाए जाने से कानून की अवहेलना तो होती ही है साथ ही आस-पास के लोगों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है। इतना ही नहीं इन मार्केट में जाने वाले लोगों को भी खासी समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। अचरज की बात तो यह है कि बहुमंजिला मार्केट भवन का निर्माण कराने की स्वीकृति नगर निकाय से लेने का कोरम पूरा करने वाले रसूखदार प्रशासनिक अधिकारियों से सांठ-गांठ करके रखते हैं। पिछले दिनों निगम ने दिखावटी तौर पर एक ज़रूर कार्यवाही की थी ।मज़े की बात यह भी है की अगर कोई इस संबंध में कोई जानकारी निगम से लें तो कोई जानकारी नहीं दी जाती है , इससे बंया होता है की साँठ गाँठ से ये अवैध खेल होता है , कहीं उजागर नहीं हो जाए ।

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