सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में बजरी खनन से रोक हटाई, अब घर बनाना होगा सस्ता

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में बजरी खनन से रोक हटाई, अब घर बनाना होगा सस्ता

जयपुर। राजस्थान में आखिरकार बजरी(रेत) खनन से रोक हट गई है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑल राजस्थान बजरी ट्रक यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष नवीन शर्मा की याचिका पर यह फैसला दिया है। कोर्ट ने खनन मामले में सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की सिफारिशें मंजूर कर ली हैं। प्रदेश में अब वैध बजरी खनन शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने अपने फैसले में वैध खनन गतिविधियों को मंजूरी दी है। वैध खदानें शुरू होने से बजरी के दामों में कमी आएगी, इससे घर बनाना सस्ता होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन बजरी माइंस की पर्यावरण क्लियरेंस आ चुकी है, उन्हें शुरू किया जाए। बाकी माइंस की पर्यावरण क्लियरेंस भी 2014-15 की सिफारिशें मानते हुए जारी की जाएं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का राजस्थान के लोगों को इंतजार था। प्रदेश की 82 बड़ी बजरी लीज को फिर से शुरू करने की मांग को लेकर यह याचिका नवीन शर्मा ने लगाई थी। वे खुद ही कोर्ट में इस केस की पैरवी कर रहे थे।
एक ऑब्जेक्शन पर सुनवाई अभी पेंडिंग
ऑल राजस्थान बजरी ट्रक यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष शर्मा ने बताया कि पेनल्टी के प्रोविजन को अभी कोर्ट ने पेंडिंग रखा है। बकौल शर्मा, 24 अक्टूबर को केस में ऑब्जेक्शन लगाया था कि सिर्फ ट्रांसर्पोटर पर ही पेनल्टी न हो। अवैध खनन करने वाली माइंस पर भी पेनल्टी लगाई जाए। कोर्ट ने सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी से पूरी एक्सरसाइज कर रिपोर्ट करने, अवैध माइंस पर पेनल्टी बढ़ाने को कहा है। साथ ही, 8 सप्ताह का समय दिया गया है।
सस्ती होगी बजरी
बजरी खनन से रोक हटाने के बाद अब करीब 4 साल बाद खनन की गतिविधियां फिर से शुरू हो सकेंगी। माना जा रहा है कि अभी अवैध रूप से बजरी खनन होकर आ रही थी। इससे बजरी के दाम आसमान छू रहे थे। एक ट्रक बजरी 90 हजार तक पहुंच गई थी। अब लीगल परमिशन के बाद दाम जल्द ही नीचे आएंगे।
रोक हटने के फायदे भी गिनाए
सुप्रीम कोर्ट में 26 अक्टूबर को बजरी खनन मामले पर सुनवाई हुई थी। उस दौरान अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ के समक्ष ये मामला फैसले के लिए लिस्टेड रहा। राज्य सरकार ने भी मामले में अपना पक्ष रखा था। सरकार ने अदालत से खनन पर रोक हटाने की गुहार लगाई थी।
सरकार ने यह भी बताया कि खनन गतिविधियों पर रोक से महंगी बजरी मिल रही है। रेवेन्यू को बड़ा नुकसान हो रहा है। राज्य सरकार ने भी कई पहलुओं के आधार पर बजरी खनन पर रोक हटाने के फायदे कोर्ट को गिनाए थे। बजरी लीज के खातेदार की ओर से भी भविष्य में वैध खनन करने पर सहमति जताई गई थी।
कोर्ट में चली सुनवाई और विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी के गठन के आदेश दिए थे। इस कमेटी ने अपनी पॉजिटिव स्टडी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी। इसके बाद से ही यह आस जाग गई थी कि नवम्बर 2017 से लगी बजरी खनन पर रोक हटाई जा सकती है।

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