
राजस्थान के धर्मांतरण-विरोधी कानून पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, राज्य सरकार से मांगा जवाब




राजस्थान के धर्मांतरण-विरोधी कानून पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, राज्य सरकार से मांगा जवाब
जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर राज्य सरकार को एक बार फिर नोटिस जारी किए हैं। जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
इसके साथ ही बैंच ने यूपी, एमपी, उत्तराखंड, हिमाचल, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा और झारखंड के समान कानूनों वाली लंबित याचिकाओं के साथ इस याचिका को भी टैग करने निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट अब सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगा।
व्यक्तिगत आस्था पर अत्यधिक नियंत्रण
याचिका में कहा गया कि यह कानून व्यक्तिगत आस्था पर अत्यधिक सरकारी नियंत्रण लगाता है। अंतर-धार्मिक (इंटरकास्ट) संबंधों को अनुपातहीन रूप से अपराध की श्रेणी में रखता है। अधिकारियों को पूर्व-नोटिस देने को अनिवार्य बनाता है। पुलिस को अनावश्यक रूप से दखल देने वाले अधिकार प्रदान करता है।
धर्मांतरण विरोधी कानून सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और मानकों से परे है। इस बिल को बनाते समय विधायिका ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर काम किया है। यह कानून संवैधानिक सीमाओं का भी उल्लंघन करता है।




