
सुजानगढ़ की अग्निपरीक्षा, दो अध्यक्ष-एक चुनाव!, जाट पॉलिटिक्स किसके साथ






जयपुरः विधानसभा उप चुनाव तीन सीटों पर हो रहे हैं. लेकिन एक सीट ऐसी है जिसने दो सियासी दलों के प्रदेश अध्यक्षों के सामने चुनौती पैदा कर रखी है यह सीट है सुजानगढ़. एक किसान नेता है PCC के चीफ और दूसरे किसान नेता है बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष. गोविंद सिंह डोटासरा और सतीश पूनिया में से कौन अपने समाज का रुख अपनी पार्टी की और मोड़ पाएगा यह देखना काफी दिलचस्प होगा. डोटासरा का निर्वाचन क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ सटा है सुजानगढ़ से, वहीं पूनिया का मूल गृह जिला है चूरू.
सुजानगढ़ एससी रिजर्व सीट है लेकिन यहां जाट वर्ग की बहुतायत है. यूं कह सकते है कि जाट समाज के वोट यहां निर्णायक साबित हो सकते है. खास बात है सुजानगढ़ सटा है गोविंद सिंह डोटासरा के निर्वाचन क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ से. लिहाजा डोटासरा के लिए सुजानगढ़ एक चुनौती से कम नहीं है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भी मूल रूप से चूरू जिले के ही निवासी है इसी में सुजानगढ़ आता है. पूनिया ने अपने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत चूरू जिले से ही की थी. पूनिया को राजगढ़ से पहली बार टिकट मिला था ,बीजेपी ने उन्हें टिकट देकर प्रयोग किया था.
सुजानगढ़ से जाट राजनीति के लिए सियासत का केंद्र बना हुआ. पीसीसी चीफ डोटासरा और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया पूरी ताकत लगा रखी है. पीसीसी चीफ डोटासरा ने सुजानगढ़ कैंप कर रखा है, उनका फोकस है यहां हाथ को जीताना. सुजानगढ़ कांग्रेस को अभी तक सर्वाधिक उम्मीद वाला निर्वाचन क्षेत्र नजर आ रहा. पिछला चुनाव भी कांग्रेस पार्टी नेता यहां जीता था. कांग्रेस के कद्दावर नेता मास्टर भंवर लाल मेघवाल के पुत्र मनोज मेघवाल को चुनावी समर में उतारा गया है, सहानुभूति वोट उन्हे मिले मिल सकते हैं.
जाट छत्रपों के सामने सुजानगढ़ का विधानसभा का उपचुनाव राजनीति की नई परिभाषा गढ़ेगा, परिणाम इनके लिए मुफीद रहते हैं तो इनकी राजनीतिक पारी को चार चांद लगेंगे. चुनौती आमने सामने की है, चुनौती है समाज के बीच में खुद को स्थापित करने की है ,चुनौती है तीन उपचुनाव की भी है. सत्ताधारी दल के संगठन के प्रदेश अध्यक्ष के नाते गोविंद सिंह डोटासरा के सामने यह चुनाव अग्निपरीक्षा के समान है, वही विपक्ष में अपनी पार्टी का अध्यक्ष रहते हुए खुद को सिरमौर बनाने का यह सतीश पूनिया के लिए सर्वोत्तम मौका है. दोनों को ही उनकी पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ा अवसर दिया है बड़ी भूमिका दी है, जबकि दोनों के लिए इस पद तक पहुंचना आसान नहीं रहा. अब दोनों दलो के प्रदेश अध्यक्षों ने घर-घर जनसंपर्क भी शुरु कर दिया है. प्रचार के अंतिम चरण में पूरी ताकत लगाई जाएगी. दोनों ही बनना चाहेंगे सुजानगढ़ जीतकर शेखावाटी के सिकंदर.


