सूरज से धरती पर आया ऐसा भीषण तूफान, एशिया से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक 'ब्लैक आउट - Khulasa Online सूरज से धरती पर आया ऐसा भीषण तूफान, एशिया से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक 'ब्लैक आउट - Khulasa Online

सूरज से धरती पर आया ऐसा भीषण तूफान, एशिया से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक ‘ब्लैक आउट

 मेलबर्न: धरती को गत रविवार को सूरज से उठे भीषण तूफान का सामना करना पड़ा। सौर तूफान की वजह से दक्षिण पूर्वी एशिया से लेकर ऑस्‍ट्रेलिया तक कई इलाकों में इसका असर देखा गया। अमेरिका के अंतरिक्ष मौसम भविष्‍यवाणी केंद्र ने बताया कि इस जियोमैग्‍नेटिक तूफान से शार्टवेब रेडियो ने दोनों ही महाद्वीपों में काम करना बंद कर दिया। धरती पर सौर तूफान 17 अप्रैल को अपने चरम पर था। इसके बाद सूरज में जोरदार विस्‍फोट हुआ जिसे कोरोनल मास इजेक्शन (Coronal Mass Ejection) कहा जाता है।
कोरोनल मास इजेक्शन सबसे शक्तिशाली सौर तूफानों में से एक है। कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से अंतरिक्ष में गैस का गुबार और चुंबकीय क्षेत्र पैदा होता है। अंतरिक्ष मौसम भविष्‍यवाणी केंद्र के अधिकारियों ने इसे एक X1.1 श्रेणी के तूफान के रूप में दर्ज किया है। यह करीब 34 मिनट तक चला। X श्रेणी के तूफान सूरज पर सबसे शक्तिशाली होते हैं। अधिकारियों ने पाया कि एक तूफान 2994 और 2993 क्षेत्रों से निकला था। इस इलाके से अक्‍सर सौर तूफान उठते रहते हैं।
सौर तूफान की सक्रियता अगले सप्‍ताह तक बनी रहेगी
अंतरिक्ष मौसम भविष्‍यवाणी केंद्र ने कहा कि सौर तूफान की सक्रियता अभी अगले सप्‍ताह तक बनी रहेगी। ईस्‍टर के दिन आए सौर तूफान को टाइप 2 श्रेणी के सौर तूफानों में जगह दी गई है। स्‍पेसवेदर डॉट कॉम के मुताबिक 17 मई को उठा सौर तूफान केवल शुरुआत हो सकता है और आने वाले समय में और तेज सौर तूफान आ सकता है। विश्‍लेषकों का कहना है कि सूरज पर एक सप्‍ताह से ज्‍यादा समय से सक्रिय था और अंतरिक्ष में कोरोनल मास इजेक्शन तथा प्‍लाज्‍मा को छोड़ रहा था।अब पृथ्‍वी को इसका सामना करना पड़ रहा है और इसमें कमी आने के कोई संकेत नहीं हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले कई वर्षों में हमने सूरज में काफी कम हलचल देखी है। ऐसा अधिकतर सोलर मिनिमम के दौरान ही होता है। लेकिन, अब हम सोलर मैक्सिमम की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह साल 2025 में सबसे अधिक तेज होगा। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कहा कि सोलर एक्टिविटी सूर्य से भी ज्यादा प्रभावित कर सकती है। जब यह पृथ्वी पर पहुंचता है, तो सोलर आउटब्रस्ट के कारण स्पेस वेदर नाम की घटनाओं की एक सीरीज पैदा करता है। इससे न केवल हमारी सैटेलाइट्स प्रभावित होती हैं, बल्कि ध्रुवीय इलाकों में रात के समय सुंदर अरौरा भी देखने को मिलता है।
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