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छात्रसंघ चुनाव: दोपहर बाद शुरू होगी बाड़ेबंदी, नई पार्टी भी छात्रसंघ चुनाव के सहारे तैयार कर रही जमीन

निखिल स्वामी की ग्राउंड रिपोर्ट
बीकानेर. छात्रसंघ चुनाव अब अपने चरम पर पहुंच गया है। एक दिन बाद चुनाव की वोटिंग होगी। चुनाव को लेकर प्रशासन की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई तो वहीं प्रत्याशियों व उनके समर्थकों की ओर से अभी तक तैयारियां चल रही है। इस बार छात्रसंघ चुनाव में जातिगत समीकरण बैठाने व कई पूर्व छात्रनेता अपनी राजनीति को चमकाने के लिए अपने प्रत्याशियों की जीत में लगे हुए है। वहीं इस बार छात्रसंघ चुनाव में इस बार एबीवीपी, एनएसयूआई, एसएफआई के अलावा आईएनएसओ की पार्टी भी मैदान में आ गई है। यह पार्टी छात्रसंघ चुनाव के सहारे अपनी जमीन तैयार कर रही है। इसके नेता भी बीकानेर आ गए है और पार्टी के छात्रसंघ अध्यक्ष प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार-प्रसार भी कर रहे है। छात्रसंघ के प्रत्याशियों के समर्थक वे सुबह से शाम तक प्रचार-प्रसार कर रहे है। लेकिन अब दोपहर बाद अपने वोटरों के लिए बाड़ेबंदी की व्यवस्था शुरू कर दी है। इन वोटरों को शहर से दूर एक रिसोर्ट, होटल में ठहराया जाएगा। इसके लिए पहले से बुकिंग कर दी गई है। अब प्रत्याशी के समर्थक वोटरों को लाने व ले जाने में लगे हुए है। यहां वोटरों के मनोरंजन के लिए कई व्यवस्थाएं की गई है। जहां वोटरों के लिए पंजाबी गायक, नाच-गाने सहित कई कार्यक्रम रखे हुए है। ऐसे में स्टूडेंट्स बड़ी संख्या में बाड़ेबंदी में पहुंचने शुरू होने लगे है। देररात तक बाड़ेबंदी में वोटरों को लाने का दौर चलेगा।इसके बाद सुबह बाड़ेबंदी से वोटरों को गाड़ियों में भरकर वोटिंग के लिए ले जाया जाएगा। हालांकि छात्रसंघ चुनाव में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की जमकर धज्जियां उड़ती है। लिंगदोह कमेटी के अनुसार छात्रसंघ चुनाव में पांच हजार रुपए की खर्च कर सकते है, लेकिन छात्रसंघ चुनाव में बाड़ेबंदी में जमकर लाखों रुपए खर्च किए जाते है। वोटरों का मनोरंजन के लिए बाहर से गायक बुलाए जाते है जो लाखों रुपए लेते है तो वहीं खाने-पीने की व्यवस्था रहती है। इसके अलावा प्रत्याशियों व वोटरों के लिए लग्जरी गाड़ियों की व्यवस्था होती है जो उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती है। बाड़ेबंदी के लिए बड़े-बड़े नेताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है। साथ ही जातिगत समीकरण बैठाने के लिए बड़े-बड़े नेताओं को बुलाया जा रहा है। जिससे हर जाति के स्टूडेंट्स को साध सकें।

 

बाड़ेबंदी में जितने है उतने नहीं पड़ते वोट
पिछले कई चुनाव में देखा गया कि बाड़ेबंदी में जितने वोटर आए होते है उतने प्रत्याशियों को वोट नहीं पड़ते है। ऐेसे में इन प्रत्याशियों के सामने यह बड़ी समस्या खड़ी होने वाली है। ऐसे में छात्रनेता कई तरह के हथकड़े अपना रहे है। बहुत से विद्यार्थियों ने तो एक-एक वोट के परिचय पत्र गिनवाकर उनके दलालों ने पैसे ले लिए। जानकारों के अनुसार कई विद्यार्थियों को वोट डालने के बाद उन्हें वापस छोडकऱ जाते है तो कई विद्यार्थी उसका किराया भी लेते है।

इनका कहना है
इस बार प्रत्याशियों के पास छात्रहित के कोई मुद्दे नहीं है और वे सिर्फ जाति के आधार पर वोट मांग रहे है।
अरूण कल्ला, छात्रनेता

 

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