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राजस्थान हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी: कोई वकील किसी केस को अन्य बेंच में ट्रांसफर करने की नहीं दे सकता सलाह

राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश विजय विश्नोई ने कहा कि कोई भी वकील किसी जज को केस से अलग होने की सलाह नहीं दे सकता। कोर्ट किसी याचिका की मेरिट पर टिप्पणी कर सकता है। यह टिप्पणी कई बार याचिकाकर्ता के वकील को पसंद न आए। न्यायाधीश विजय विश्नोई ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता की वकील की ओर से केस को अन्य बेंच में ट्रांसफर किए जाने का बार-बार कहने के बाद की। बाद में उन्होंने वकील के व्यवहार को अस्वीकार्य बताते हुए यह मामला मुख्य न्यायाधीश के विचाराधीन भेज दिया।

मास्टर अर्जुन चौधरी और आर्मी पब्लिक स्कूल जोधपुर से जुड़े एक मामले की सुनवाई न्यायाधीश विजय विश्नोई की बेंच में होनी थी। एक दिन में सौ से अधिक मामले विचाराधीन होने के कारण बेंच ने मेरिट के आधार पर सुनवाई करना तय किया। यानी प्राथमिकताओं वाले मामलों की सुनवाई पहले करनी थी। इस पर याचिकाकर्ता की वकील ने कहा कि यदि बेंच इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहती है तो इसे दूसरी बेंच में ट्रांसफर कर दिया जाए। इस पर बेंच की तरफ से कहा गया कि उनके मामले की सुनवाई बारी आने पर कर दी जाएगी। इसके बावजूद उन्होंने दो बार बेंच से कहा कि यदि सुनवाई करना नहीं चाहते हो तो इसे किसी अन्य बेंच में ट्रांसफर कर दिया जाए। ऑर्डर लिखे जाने के दौरान भी उन्होंने लगातार बोलना जारी रखा।

न्यायाधीश विजय विश्नोई ने इस बहुत गंभीरता से लिया और उन्होंने लिखा कि कोई भी व्यक्ति किसी केस को पहले सुनने की सलाह नहीं दे सकता। साथ ही यह भी नहीं कह सकता कि केस को किसी अन्य बेंच में ट्रांसफर कर दिया जाए। उन्होंने लिखा कि सौ से अधिक मामलों की एक दिन में सुनवाई होनी थी। कई वकील ने अपनी याचिका पर अर्जेंट लिख रखा था। लेकिन बेंच मामलों की प्राथमिकता अपने आधार पर तय करती है। इस मामले में याचिकाकर्ता की वकील का व्यवहार अस्वीकार्य है। ऐसे में इस मामले में और अधिक टिप्पणी करने के बजाय मैं इसे मुख्य न्यायाधीश के पास रेफर करता हूं।

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