संसाधनों का भंडारण सफलता नहीं :डॉ. बिस्सा

संसाधनों का भंडारण सफलता नहीं :डॉ. बिस्सा

बीकानेर। धन, पद, सम्मान, लोकप्रियता और जायदाद इक_ा करने की पिपासा अंतहीन है अत: इन्द्रीय निग्रह मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिये. ये विचार मैनेजमेंट ट्रेनर डॉ. गौरव बिस्सा ने आरएसवी ग्रुप ऑफ़ स्कूल्स द्वारा आयोजित लाइव वेबिनार स्टेयरकेस टू एक्सीलेंस में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि संसाधनों का भंडारण सफलता नहीं है अपितु समाज को देने लायक बनना सफलता है. डॉ. बिस्सा ने समय प्रबन्धन, आत्मानुशासन, संघर्ष की शक्ति, सीखने की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघर्ष से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का समग्र विकास होता है अत: संघर्षों और चुनौतियों से कदापि न घबराएं. डॉ. बिस्सा ने निप्पन फाउंडेशन की रिसर्च से समझाया कि भारतीय व्यक्ति अत्यंत अनुशासित और संघर्षशील होते हैं. उन्होंने जापानी मैनेजमेंट के सिद्धांत काईजन अर्थात निरंतर इम्प्रूवमेंट, इकिगाई अर्थात पैशन से करियर डेवलपमेंट तथा इकिगो इची यानि एक समय में एक कार्य करने के सिद्धांतों को सविस्तार समझाया. डॉ. बिस्सा ने लाइव प्रसारण में कहा कि देना सीखना ही जि़न्दगी है. उन्होंने कोरोना वारियर्स, भारतीय महिलाओं, व्यवसाय जगत के नायकों के योगदान की सराहना करते हुए बताया कि दूसरों के जीवन में हमारी वजह से आने वाली मुस्कराहट ही सही अर्थों में एक्सीलेंस है. डॉ. बिस्सा ने कहा कि अनुभव और ज्ञान के साथ कर्म को जोडऩे से सफलता मिलती है. उन्होंने उपनिषदों के सिद्धांत प्रज्ञानं ब्रह्म को समझाते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में अद्भुत क्षमताएं होती हैं और उनका प्रकटीकरण करना ही उत्तमता की पहचान है. डॉ. बिस्सा ने शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्तर पर स्वयं को उत्तम बनाने हेतु इंट्रोस्पेक्शन, नैतिकता पालन, उद्देश्यों की जांच और प्रतिपल ईश्वर का आभार जताने हेतु मन्त्र सुझाए। इस अवसर पर आरएसवी शिक्षण समूह के सीईओ आदित्य स्वामी ने कहा कि लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ निरंतर बढ़ते रहना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि कष्टों से घबराए बिना जमे रहना ही जीवन का आनंद है. समूह की अकादमिक निदेशक श्रीमती निधि ने कहा कि इस लाइव जीवंत कार्यशाला में ढ़ाई हज़ार से ज़्यादा विद्यार्थी, अभिभावक और टीचर्स जुड़े जिनमे राज्य के साथ ही विदेश में रहने वाले व्यक्ति भी सम्मिलित हैं. उन्होंने कहा कि संसार के सर्वोत्कृष्ट कार्य कष्टप्रद परिस्थितियों में ही हुए प्रतीत होते हैं अत: कष्ट को अवसर मानना चाहिये. समूह के सीएमडी सुभाष स्वामी ने कहा कि प्रतिभा स्थायी नहीं होती. प्रतिभा या तो बढ़ती है या क्षय होती जाती है. यदि प्रतिभा का उत्तम इस्तेमाल न हो तो उसका क्षय होना निश्चित है अत: प्रत्येक व्यक्ति को अपनी नैसर्गिक प्रतिभा का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि वह एक्सीलेंस की ओर अग्रसर हो सके. कार्यक्रम समन्वयक डॉ. पुनीत चोपड़ा ने डॉ. बिस्सा का स्वागत किया और स्कूल गतिविधियों पर प्रस्तुतीकरण दिया. आरएसवी के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव ने आभार जताया.

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