
पब्लिक पार्क में लगी जंगली व पालतू जानवरों की मूर्तियां महज कुछ माह में हुई खंडित, आमजन के लाखों रुपये भ्रष्ट नौकरशाही के भेंट चढ़े






लाखों के लोकधन की यूं हो गई लूट!
पब्लिक पार्क में लगी जंगली व पालतू जानवरों की मूर्तियां महज कुछ माह में हुई खंडित, आमजन के लाखों रुपये भ्रष्ट नौकरशाही के भेंट चढ़े
बीकानेर । नगर के स्मृतिशेष जंतुआलय के समीप लिली पौंड के समक्ष लाखों रुपये की लागत से बनाई गई जंगली व पालतू जानवरों की मूर्तियाँ महज कुछ माह में ही खंड खंड होने के कगार पर पहुँच गई हैं और आम जनता की गाढ़ी मेहनत के लाखों रुपये भ्रष्ट नौकरशाही से लेकर बदइंतजामी की भेंट चढ़ गए। सावधान संस्था के दिनेशसिंह भदौरिया ने शनिवार को जंतुआलय के समीप नष्ट होती जा रही जानवरों के अंग भंग होते जमीन पर पड़े पुतलों की फोटो दिखाते हाल ही में अस्तित्व में आए बीकानेर विकास प्राधिकरण के आला अफसरों से मांग की है कि जल्द से जल्द जानवरों के इन पुतलों को स्टोर में रखवाया जाए वर्ना कभी भी ये पुतले चोरी हो सकते हैं या पूरी तरह टूट फूट जाएंगे चिडिय़ाघर तो रहे नहीं, अभी के बच्चों की
$िकस्मत में महज पुतले!
बीकानेर में रियासतकालीन पिलक पार्क में भव्य जंतुआलय बीकानेर के प्रतापी नरेशों ने बनवाया था और शेर, चीते, भालू, बघेरा, सेही से लेकर भांति भांति की चिडिय़ाएं, बाख, हिरण आदि के साथ मगरमच्छ तक पिंजरों, तालाब में विचरण करते दिखते थे। 1970 से लेकर सन् 1999 तक के बच्चे बड़े चाव से इन जंतुओं, पक्षियों को देखते हुए बड़े हुए लेकिन इसके बाद यहां से जंगली जानवरों को शोरगुल के नाम पर विस्थापित कर दिया गया। बीछवाल में नया जंतुआलय बनाने की कवायद कई दशक से चल रही है जाने कब पूरी होगी और कब वहां जंगली जानवर लाए जाएंगे और कब नगर के मासूम इन्हें देख अपना बचपन सार्थक कर पाएंगे। इधर पिलक पार्क में पुराने जंतुआलय में जंगली जानवर नहीं बचे थे इसलिए पिछले साल कुछ उत्साही अफसरों ने लाखों रुपये के बजट से जंगली-पालतू जानवरों से लेकर डायनासोरों तक के पुतले जंतुआलय की दीवार के पास बगैर किसी सुरक्षा के लगवा दिये गये जो मौसम की मार के बाद असामाजिक तत्वों की भेंट चढ़ते गये और अब अंग भंग होकर कूड़े में समाए जाने की ओर अग्रसर हैं। इसमें जो लाखों रुपये के लोकधन की लूट हो गई, उसकी जिमेदारी किसकी–यह मत पूछिये।


