
सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में लगे 61 विभूतियों को दिया आध्यात्मिक गौरव अलंकरण अवार्ड





– पूनरासर पारायण समिति की ओर से सूरदासाणी बगेची में हुआ आयोजन, संतों का मिला आशीर्वाद
खुलासा न्यूज बीकानेर। लंबे समय से बीकानेर में सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में लगे साधु-संतों, भागवताचार्यों, यज्ञाचार्यों, ज्योतिषाचार्यों, वास्तु शास्त्रियों सहित धर्म संस्कृति के 61 संवाहकों को बुधवार दोपहर यहां सूरदासाणी बगेची में आयोजित एक कार्यक्रम में आध्यात्मिक गौरव अलंकरण अवार्ड से सम्मानित किया गया। ये कार्यक्रम पूनरासर पारायण समिति की ओर से आयोजित हुआ जिसमें बीकानेर के विभिन्न मठ-धाम के महामंडलेश्वरों का भी आशीर्वाद मिला। इन साधु संतों के पावन सानिध्य में ही ये धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुआ। सबसे पहले मानसप्रेमी व समाजसेवी राजेश चूरा ने स्वागत भाषण दिया। पूनरासर पारायण समिति के अध्यक्ष राजकुमार व्यास ने आयोजन पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के संयोजक नरेश पुरोहित ने संचालन किया। अंत में मानसप्रेमी भंवर पुरोहित ने सभी का आभार ज्ञापित किया।
माता ही प्रथम गुरू है उससे ही संस्कार जीवित रहते हैं- स्वामी विकोशानंद
इस अवसर पर अपने आशीर्वचन में धनीनाथ गिरी मठ के महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद महाराज ने कहा कि किसी भी मनुष्य की प्रथम गुरू उसकी माता होती है। माता से ही सबसे पहले बच्चे में संस्कारों का बीजारोपण होता है इसलिए माता का स्थान हमारे धर्मशास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। माता के बाद पिता का नंबर आता है और उसके बाद यदि जीवन में मनुष्य भ्रमित होता है तो उसे अंतिम रूप से संस्कारित करने का काम साधु संत करते हैँ। उन्होंने कहा कि बीकानेर में रामायण का प्रचार प्रसार की शुरूआत धनीनाथ गिरी मठ से ही प्रारंभ हुई जब हमारे गुरू ब्रह्मलीन स्वामी सोमेश्वरानंद जी ने 108 रामचरित मानस के पाठ कराए और उसके बाद तो घर-घर अखंड रामायण व सुंदरकांड होने लग गए। उनकी वजह से ही हमारा बीकानेर रामायण के प्रचार प्रसार के तहत अब अयोध्यानगरी बन गया है। उन्होंने सम्मानित हुए सभी धर्मप्रेमियों को आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर रामझरोखा धाम के महामंडलेश्वर स्वामी रामदास महाराज ने कहा कि भागवत व रामायण ही मनुष्य को भवसागर पार कराती है। मानव रूप में आकर रामजी ने जीवन स्तर सुधारा इसलिए राम जैसा चरित्र कोई नहीं है। रामायण में हमें बताया गया है कि भाई संपत्ति नहीं टालते बल्कि विपत्ति टालते हैं। इसलिए हमें रामजी के चरित को अपनाना चाहिए। रामझरोखा कैलाश धाम के महंत राष्टीय संत सरजूदास महाराज ने कहा कि रामायण पढऩे से संस्कार जीवित रहते हैं। हमें बच्चों में नियमित रूप से भगवान के स्मरण के संस्कार डालने चाहिए। बीकानेर की धरा में गुरू महाराज रामदास जी की कृपा से अनेक बड़े धार्मिक आयोजन हुए हैं और यहां धर्म की सरिता बह रही है।
गीता-रामायण भगवान की वाणी है- श्यामसुंदर दास महाराज
इस अवसर पर मुरली मनोहर धोरा के संत श्यामसुंदर दास महाराज ने कहा कि गीता व रामायण दो ही ग्रंथ हैं जिनका प्रचार प्रसार करने पर भगवत कृपा बनी रहती है। इसलिए हम सबको समय समय पर रामायण व गीता जी के पाठ करने चाहिए। रामसुखदास ही महाराज गीता रामायण की चलती फिरती मूर्ति थे। रामायण व गीता तो भगवान की वाणी है इसलिए इनका पाठन जरूरी है। इस दौरान सागर राम लक्ष्मण भजनाश्रम के दांडी स्वामी श्रीधर जी महाराज ने भी आर्शीवचन दिया।
इनका हुआ सम्मान
सबसे पहले श्री विशोकानंद जी, श्री श्री धरानंद महाराज, रामदास जी महाराज, श्री सरजूदास जी महाराज,शिव सत्यनाथ महाराज, अधिष्ठाता नवलेश्वर मठ श्री विवेक नाथ बग़ेची, श्याम सुंदर दास महाराज को राजेश चूरा, भंवर पुरोहित, अन्नू व्यास, राजकुमार व्यास, नरेश पुरोहित, रामचन्द्र आचार्य, सुरेन्द्र कुमार, अशोक अग्रवाल व कैलाश कुमार आदि ने माला साफा पहनाकर अभिनंदन पत्र दिया।
इस अवसर पर स्वामी विशोकानंद जी महाराज ने पं. नथमल पुरोहित, जुगलकिशोर ओझा पुजारी बाबा, गोपालनारायण व्यास, ब्रजलाल शर्मा, मांगीलाल भोजक, राजेन्द्र व्यास, पं. राजेन्द्र किराडू, राजेश व्यास को सम्मानित किया गया। इसी प्रकार रवि प्रकाश, विमल किराडू, रमेश व्यास, अशोक ओझा, महेंद्र व्यास, प. मुरली व्यास, अशोक अग्रवाल, अरूण व्यास के साथ साथ ब्रज रतन पुरोहित, अशोक ओझा, प. योगेश बिस्सा, प्रहलाद व्यास, अशोक किराडू, मुदित भोजक, रामलक्ष्मण चौधरी को सम्मानित किया गया। इसके बाद भाईश्री व्यास, श्रवण व्यास, दिव्यांशु व्यास, सुशील किराडू, पुरूषोत्तम व्यास, विजयशंकर व्यास, अशोक रंगा को भी अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।
इन मानस समितियों को भी मिला अवार्ड
इस अवसर पर रामायण का पाठ करने वाली मानस समितियों को भी अवार्ड प्रदान किया गया। समारोह में हनुमान मंडल, नवयुवक मानस प्रचार समिति, मानस प्रचार समिति फडबाजार, मानस प्रचार समिति पारीक चौक, आदर्श नवयुवक सेवा समिति, अंबे मंडल, सत्प्रेरणा परिषद व ऋग्वेदी रांका को अवार्ड प्रदान किए गए। इस मौके पर श्रीमती तारादेवी सोनी, कविता पारीक, किशोर पुरोहित, प. नवरतन व्यास, बजरंग पारीक तथा पूनरासर मंदिर के पुजारी रतन जी बोथरा को भी माला साफा पहनाकर अलंकरण अवार्ड दिया गया।


