
क्या इस बार कांग्रेस लोकसभा का चुनाव लड़ पाएगी या डाल देगी फिर से अपने हथियार, पढ़ें यह खबर






– पत्रकार कुशाल सिंह मेड़तिया की विशेष रिपोर्ट
खुलासा न्यूज, बीकानेर। भाजपा लगातार तीन लोकसभा चुनाव जीत चुकी है, वहीं, कांग्रेस अपने लाख प्रयासों के बाद भी लगातार चुनाव मात खा रही है, इस नाकामयाबी के पीछे खुद कांग्रेस की कमी नजर आ रही है। पहली बार जो सीट कांग्रेस की थी, उस पर भाजपा के अर्जुनराम मेघवाल ने जीत इसलिए दर्ज की क्योंकि उस समय कांग्रेस में गुटबाजी की वजह से चुनाव हार गई, कहा जाता है कि डुडी गुट की नाराजगी की वजह से रेवंतराम पंवार चुनाव हार गए थे। दूसरी बार कांग्रेस ने अर्जुनराम के सामने शंकर पन्नू को टिकट दिया, लेकिन पन्नू मुकाबले में ही नहीं नजर आए। दूसरा बाहरी होने का भी बड़ा कारण था तीसरी बार कांग्रेस ने मदन मेघवाल को टिकट दिया, एक बार ऐसा लगा की शायद मुकाबला रोचक होगा लेकिन कांग्रेस का कोई भी बड़ा लीडर उनके साथ नजर नही आये इसी वजह से मदन मेघवाल भी मुकाबला बीच मे छोड़ चुके थे और ऐसा लगा जैसा की वो खुद ही अपनी हर मान चुके थे। पिछले दो चुनाव में तो ऐसा कभी लगा ही नहीं की कांग्रेस ने चुनाव लड़ा भी हो, भाजपा एकतरफा चुनाव जीत रही है। पिछली दोनों बार के चुनाव में कांग्रेस ने टिकट कद्दावर नेता नेता रामेश्वर डुडी के कहने पर दी गई। लेकिन अब कांग्रेस के लिए टिकट उम्मीदवार का चयन करना मुश्किल बना हुआ है, क्योंकि रामेश्वर डूडी भी पिछले लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे है, लेकिन फिलहाल कांग्रेस में इस बार के टिकट के हौड़ मची हुई है, एक दर्जन से अधिक नेताओं ने दावेदारी जताई, लेकिन उसमें कुछ नेता ऐसे भी है जिनको शायद अपने वार्ड के लोग भी नहीं जानते होंगे। हालांकि एक दर्जन में कुछ वरिष्ठ नेता भी रेस में है, जैसे गोविंदराम मेघवाल, जिला प्रमुख मोडाराम ,मदन मेघवाल ने फिर से दावेदारी कर की है, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि पिछले में चुनाव में अर्जुनराम मेघवाल का विरोध भी देखने को मिला था, पार्टी के कई नेता विरोध में उतरे हुए थे, फिर भी मेघवाल वोटों के बड़े मार्जन से चुनाव जीते गए थे, वहीं, इस बार तो माहौल पूरा बीजेपी के पक्ष में नजर आ रहा है, क्या कोई कांग्रेस प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल को चुनाव हरा पाएगा? ऐसे में कांग्रेस के लिए जिताऊ प्रत्याशी ढूंढना किसी चुनौती से कम नहीं है।
कांग्रेस से आखिर कौन हो प्रत्याशी?
अर्जुनराम या भाजपा का विजय रथ रोकना है तो कांग्रेस को जमीनी स्तर से जुड़े हुए ऐसे नेता को ढूंढना पड़ेगा जो जनता का चेहता हो। फिलहाल ऐसी स्थिति में आवेदनों में एक ही नाम सामने आता है वो है गोविंद राम मेघवाल आम कांग्रेसी नेता में भी चर्चा है कि वो गोविंद राम ही एकमात्रा ऐसा नेता है जो चुनाव में बीजेपी के टक्कर दे सकते हैं। क्योंकि चुनाव लडऩे के लिए जिस टीम या कार्यकर्ताओं की जरूरत होती है वो गोविंदराम मेघवाल के पास है। गोविंद राम ही एक ऐसे कैंडिडेट है जो लोकसभा में पांच विधानसभा सीटों से अच्छे खासे वोट ले सकते हैं। बात करे खाजूवाला की तो वो खुद उनका विधानसभा क्षेत्र है, लूनकरनसर में भी उनका विरोध नहीं है, डूंगढगढ़़ में भी उनका प्रभाव खासा है, कोलायत में भी एससी के वोट और अन्य वोटों में सेंधमारी कर सकते हैं और नोखा से वे खुद विधायक रह चुके है । गोविंदराम मेघवाल के लिए शहर की दोनों विधानसभा सीट में लीड लेना बड़ा चैलेजिंग होगा। हालांकि ये चुनावी गणित है, पार्टी किसे टिकट देती है और किसी पर चुनाव जीतने का भरोसा जताती है यह आगे आने वाले समय में पता चलेगा। लेकिन अगर कांग्रेस को लोकसभा में खुद को साबित करना है तो कुछ आक्रामक निर्णय करने होंगे, वरना ऐसा ही रहा तो पार्टी के लिए चुनाव निकाल पाना मुश्किल होगा।

