
एसपी साहिबा हम नहीं सुधरेगें, हम ऐसे ही घूमेंगे







बीकानेर। पूरे प्रदेश में बढ़ते संक्रमण को लेकर अब 8 जून तक लॉकडाउन लगा दिया है। इसी तरह बीकानेर शहर में संक्रमित कम आ रहे है लेकिन खतरा लगातार बना हुआ है। संक्रमण रोकने के लिए प्रशासन ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है लेकिन शहर के कुछ इलाके ऐसे ही जहां देखने से नहीं लगता है कि यह पर लॉकडाउन है। शहर के दो थाना क्षेत्रों में जीरो मोबिलिट घोषित कर रखी है कोतवाली के बड़ा क्षेत्र से 500 मीटर की दूरी पर व कोटगेट की 500 मीटर में जीरो मोबिलिट घोषित किया गया है। लेकिन इन क्षेत्रों में आने वाले इलाको में अगर देखे तो दिनभर आवाजाही होती रहती है इनको रोकने वाला कोई नहीं है। ठंठेरा मौहल्ला, रांगड़ी चौक, मोहता चौक, भुजिया बाजार,महात्मा चौक, लक्ष्मीनाथ मंदिर के आस पास क्षेत्र, छींपा का मौहल्ला, आचार्य का चौक बड़ा बाजार क्षेत्र है जहां पर दिनभर आवाजाही चलती रहती है। इनको कोई पूछने वाला तक नहीं है कि कौन कहा किस काम से जा रहे है। इन क्षेत्रों में बनी दुकाने लगभग खुली है। मिठाई की दुकानें आगे से बंद है पीछे से खुलेआम मिठाई बिक रही है। शहर में ऐसी कोई चीज नहीं है जो मिल नहीं रही है। अगर शहर के अन्य क्षेत्रों की बात करे तो कसाई बारी, सुभाष मार्ग, सोनगिरी कुंआ, तिलक नगर, मुक्ता प्रसाद, मुरलीधर व्यास कॉलोनी, सेवगों की गली, लखोटियों का चौक, जस्सूसर गेट अंदर व बाहर, नत्थूसर गेट के बाहर अंदर, बेसिक कॉलेज के पास, छिपों की बस्ती, ठंठेरा मौहल्ला, सोनारों की गुवाड़, फड़बाजार ऐसे कई और इलाके है जहां पर दुकाने घर के अंदर बनी है और दिनभर चलती है उनको रोकने वाला कोई नहीं है।
अगर करे शिकायत तो पुलिस ही धमकाती है
अगर कोई जागरुक आदमी पुलिस को शिकायत करें तो पुलिस उनको ही धमकाती है की आपको कोई तकलीफ है क्या अगर ऐसा ही रहा है तो हम प्रदेश के मुखिया के द्वारा लगाये गये लॉकडाउन का मजाक बना रहे है। एसपी प्रीति चन्द्रा ने कई बार ऐसे मैसेज किये है मुझे कोई भी सडक़ पर घुमता नजर नहीं आयेगा लेकिन पुलिसकर्मियों को इसका कोई फर्क नहीं पडऩे वाला है।
पुलिस के नाक के नीचे बिकता है समान
कई जगह तो ऐसी है जहां पुलिस दुकान के पास बैठी है और उसके सामने आमलोग सामान लेकर जा रहा है और पुलिस मुकदर्शक बनी हुई है। जबकि समय के अनुसार सुबह 6 बजे से 11 बजे तक दुकान खुल सकती है। उसके बाद अगर कोई दुकानदार समान बेचता है तो उस पर जुर्मान का प्रावधान है लेकिन ऐसे नियम सिर्फ कुछ जगहों पर ही देखने को मिलती है।
अधिकारी नहीं जाते शहरी क्षेत्र
अगर देखा जाये तो जांच करने वाले भी सिर्फ चुनिंद जगहों पर ही जाते है बाकी वह शहरी क्षेत्र में नहीं जाते है सूत्रों से ऐसी जानकारी है कि उन पर राजनैतिक दबाब रहता है जिसके चलते अधिकारी शहरी क्षेत्र में जाने से कतराते है। आज तक शहर की ऐसी कोई दुकान या गोदाम सीज नहीं हुआ हो जो खुला और अधिकारी ने जुर्माना या सीज किया है जबकि शहरी क्षेत्र में दुकान दिनभर खुली रहती है उन पर कोई जुर्माना लगाने वाला नहीं है।
पुलिस की गश्त को बता रहे है धत्त
पुलिस की गाड़ी रात दिन घूमती है लेकिन दुकानदार पुलिस की गाड़ी देखकर बंद कर देते है जिससे लगता है दुकानें बंद है। पुलिस अपनी डियूटी कर रही है लेकिन लोग है कि मानते ही नहीं है।
पाटों व चौकों मे बैठे रहते है आधी रात तक
लॉकडाउन लगाया है कि एक दूसरे के पास नहीं आये लेकिन शहर में शाम होते ही पाटों पर जमावड़ा हो जाता है लगता ही नहीं है इन क्षेत्रों में लॉकडाउन है। देर रात लोगों को जमावड़ा रहता है इनको रोकने टोकने वाला कोई नहीं है। इसलिए आमजन को पुलिस का भय खत्म सा हो गया है।


