
होमलोन की कुछ ईएमआई से मिल सकती है राहत, आरबीआई के ऐलान के बाद कई बैंक बना रहे नया प्लान






नई दिल्ली। कोरोना संकट के समय कर्जदार लोगों की मुसीबत कम करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई ) ने पहले लोन मोरेटोरियम शुरू किया और फिर अब हाल में वन टाइम लोन रीस्ट्रक्चर स्कीम का ऐलान किया। आरबीआई के इस ऐलान के बाद कई बैंक होम लोन रीस्टक्चर करने की सोच रहे हैं। अगर ऐसा होता है हर माह होमलोन के लिए ईएमआई की किस्त चुकाने के टेंशन से थोड़ी राहत मिल सकती है। टीओआई ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि केवी कामत कमेटी रिटेल और होम लोन रीस्ट्रक्चरिंग को नहीं देखेगी। इसका मतलब ये कि परेशानी से जूझ रहे कर्जदारों के संख्या के आधार पर बैंक खुद ही एक प्रस्ताव तैयार करेंगे,जिसे वह अगले महीने अपने बोर्ड को भेजेंगे। इसमें बैंक जिन विकल्पों पर विचार कर रहे हैं,उनमें कुछ महीनों की ईएमआई में मोहलत देना भी शामिल है।
लोन रीस्टक्चर करना चाहते हैं बैंक
कोरोना संकट के कारण आई इस मंदी के कारण कई बैंक खुद भी लोन रीस्ट्रक्चर करना चाहते हैं,ताकि डिफॉल्टर्स ना बढ़ें और बैंक का एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग असेट भी ना बढ़े। साथ ही बैंकों का ये भी कहना है कि जबरन वसूली और संपत्ति सीज करने के लिए ये वक्त सही नहीं है. गौरतलब है कि आरबीआई ने सभी बैंकों को दो साल तक के लिए कर्ज की सीमा बढ़ाने की सुविधा दी है,लेकिन बैंकों का कहना है कि वह दो साल का मोरेटोरियम नहीं दे सकते हैं।
जिस किसी ने भी 15 साल तक का लोन ले रखा है वह छह माह तक ही मोरेटोरोयिम की सुविधा पा सकता है। ईएमआई चुकाने में मोहलत भी उस आधार पर मिलेगी जहां देखा जाएगा कि कर्जदार किस ब्याजदर से लोन चुका रहा है। अगर होमलोन का ब्याज दर सात फीसदी से कम होता है तो ऐसी सुविधा देना मुश्कल होगा। केवी कामत की रिपोर्ट मध्य सितंबर तक आरबीआई को मिल सकती है. रिपोर्ट से बैंकों को कई उम्मीदें हैं।
होमलोन का संकट और लोन रीस्ट्रक्चर का फायदा
कोरोना संकट के इस दौर में नौकरी का जाना अब आम बात होती जा रही है. जिसकी नौकरी जाती है, उसके लिए न सिर्फ महीने के खर्च का संकट खड़ा हो जाता है, बल्कि होम लोन जैसे कर्ज भी समस्या बन जाते हैं. कर्ज लेने वाला सोचता है कि कंपनी बैंक उसकी प्रॉपर्टी पर कब्जा न कर ले। वहीं बैंक सोचता है कि उसका पैसा किसी तरह निकल आए. लेकिन दोनों एक दूसरे पर शक करते हैं और ऐसे में होम लोन का संकट औरे बढ़ जाता है।
बैंक जब लोन रीस्ट्रक्चर करते हैं तो आपकी लोन की अवधि को बढ़ा देते हैं। इससे आपके होम लोन की किस्त घट जाती है। इसका फायदा यह होता है कि अगर थोड़ा कम पैसे की भी नौकरी मिले तो आराम घर का खर्च चलने के साथ होम लोन की किस्त भी चलती रहे।


