…….तो इन विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो सकते है पायलट ?

…….तो इन विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो सकते है पायलट ?

जयपुर। विधायकों के खरीद फरोख्त प्रकरण मामले ने तूल पकडने के बाद राजस्थान की राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। अब सचिन पायलट प्रकरण पर नया लेटेस्ट अपडेट मिला है। सूत्रों के मुताबिक फिलहाल किसी भी प्रकार के समझौते के मूड में पायलट नहीं है। शनिवार देर रात तक 21 पायलट समर्थक विधायक दिल्ली पहुंच चुके थे। दो दूसरे विधायक भी आस-पास के इलाके में थे। इस प्रकार कुल 23 विधायक पायलट के खेमे में थे। जबकि पायलट का टारगेट 30 असंतुष्ट कांग्रेसी मंत्रियों-विधायकों को दिल्ली में जुटाने का था। इस प्रकार 7 विधायक शनिवार की मानेसर स्थित भारत होटल की परेड में कम पड़ गए थे।
12 पायलट समर्थक विधायक जयपुर में
इन 7 विधायकों के नहीं पहुंचने के बारे में पायलट कैम्प के सूत्रों ने खुलासा किया है कि गहलोत द्वारा बॉर्डर सील कर दिए जाने के कारण कुल 12 पायलट समर्थक विधायक जयपुर में ही रह गए। अब इन 12 विधायकों में से कम से कम 7 विधायकों के आज किसी भी समय दिल्ली पहुंचने का इंतजार हो रहा और यदि इस प्रकार ये सभी 30 विधायक कल दिल्ली में मौजूद रहे,तो पायलट इन सभी के साथ भाजपा ज्वॉइन कर सकते है। ऐसी सूरत में गहलोत सरकार को अल्पमत में लाने के लिए पांच विधायकों की कमी रहेगी और इस कमी को पूरा करने के लिए 7 गैर कांग्रेसी विधायकों को पायलट के पक्ष में लाने का जिम्मा जयपुर में अज्ञात शक्तियों ने लिया। अब इन अज्ञात ताकतों के निशाने किशनगढ़बास के 82 वर्षीय विधायक दीपचंद खैरिया, राजगढ़ के 85 वर्षीय विधायक जौहरीलाल मीणा, कठूमर के 70 वर्षीय बीमार चल रहे विधायक बाबूलाल बैरवा, मूलत: भाजपाई और मौजूदा तिजारा के बसपा से कांग्रेस में आए विधायक संदीप यादव,बानसूर के गुर्जर विधायक शकुंतला रावत, चाकसू के कांग्रेस विधायक वेदप्रकाश सोलंकी और एक विधायक उदयपुर संभाग से हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में भाजपा के बड़े नेता से मीटिंग
इनमें से अधिकांश विधायक गहलोत और पायलट दोनों खेमों के संपर्क में है,लेकिन अब गुर्जर समुदाय का जबरदस्त दबाव है। सभी कांग्रेसी और गैर कांग्रेसी गुर्जर विधायकों पर पायलट का समर्थन देने के लिए दबाव है और ये दबाव अब सचमुच काम कर भी रहा है। इसकी पहली कड़ी गुर्जर विधायक डॉ. जितेन्द्र सिंह बने। सूत्रों के अनुसार गहलोत कैम्प में रहते हुए भी इन्होंने अपने समर्थन का पत्र पायलट कैम्प को सौंपा। शनिवार देर रात दिल्ली में एक फॉर्म हाउस पर पायलट की एक महत्वपूर्ण बैठक होनी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी में भाजपा के बड़े नेता से मीटिंग होनी थी।
घटनाक्रम पर भाजपा आलाकमान की पूरी नजर
सूत्रों के मुताबिक अलबत्ता शनिवार को पायलट की जेपी नड्डा से फोन पर बात होने की खबर मिली है, लेकिन अभी तक इस बारे में शायद भाजपा कोई अंतिम फैसला नहीं कर पाई क्योंकि अभी तक पायलट जरूरत की संख्या नहीं जुटा पाए हैं। इस समूचे घटनाक्रम पर भाजपा आलाकमान की पूरी नजर है। पिछले दो दिनों से गजेन्द्र सिंह शेखावत-सतीश पूनिया-राजेन्द्र राठौड़ खासे सक्रिय है,लेकिन वसुंधरा कैम्प ने मौन साध रखा है।अब कुल मिलाकर सब लोगों को एक ही बात का इंतजार है, क्या सचमुच 30 बागी कांग्रेस विधायकों का समर्थन जुटाकर सोमवार को भाजपा में पायलट चले जाएंगे ? वैसे पायलट का खुद का मन शायद एक थर्ड फ्रंट बनाने का है,यदि सचमुच पायलट खेमा भाजपा में चला गया ? तो फिर मध्यप्रदेश पैटर्न पर इन सभी लोगों का “राजनैतिक पुनर्वास” होगा। इनमें से कुछ विधायक बनेंगे मंत्री, कुछ को बोर्ड और कॉर्पोरेशन में चेयरमैन का पद मिलेगा और कुछ दूसरे लोगों के सरकार में पेंडिंग पड़े काम पूरे होंगे।
कांग्रेस आलाकमान नेतृत्व परिवर्तन के मूड में नहीं
गहलोत सरकार का साथ छोड़कर जाने वाले ऐसे सभी कांग्रेसी और गैर कांग्रेसी विधायकों को उनके निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा का टिकट भी मिलेगा। इस सारे घटनाक्रम पर जानकार सूत्रों ने खुलासा किया। सूत्रों ने कहा कि वैसे तो गहलोत सरकार से निराश होकर कांग्रेस छोडऩे का मन पायलट बना चुके है,लेकिन फिर भी कुछ शुभचिंतक और मध्यस्थ एक आखिरी प्रयास कर रहे। इन प्रयासों के चलते आज राहुल और पायलट के बीच फोन पर लंबी बात हुई,लेकिन पायलट ने राहुल को उनके पुराने वायदे याद दिलाए और फिर से अपनी मांग दोहराई। लेकिन कांग्रेस आलाकमान के अधिकांश नेता नेतृत्व परिवर्तन के मूड में नहीं है।
गहलोत और पायलट कैम्प्स के बीच गतिरोध
जिस भाषा और जिस ढंग से एसआजी ने जारी किया नोटिस उस पर भी आपत्ति पायलट ने जताई। ऐसे में अब शायद ही कोई हल मौजूदा राजनीतिक संकट का निकले? फिर भी औपचारिकता के नाते पायलट समर्थक सभी विधायक एक बार सोनिया गांधी से मिल सकते है और अपने “मिशन” में सफलता न मिलने पर ये लोग फिर भाजपा ज्वॉइन कर सकते है, लेकिन अभी तक न तो इन लोगों ने मांगा सोनिया से समय और न ही सोनिया ने आगे बढ़कर इन लोगों को बुलाया। इस प्रकार गहलोत और पायलट कैम्प्स के बीच गतिरोध अभी भी बरकरार चल रहा है।

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