स्कूली बच्चों के दूध पर मंडराया खतरा

स्कूली बच्चों के दूध पर मंडराया खतरा

बीकानेर। सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले दूध पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. कई स्कूलों में दूध का पैसा नहीं पहुंच रहा है तो कई जगह दूध को गरम-ठंडा करने और इसे बच्चों को पिलाने में जाया होने वाले वक्त से शिक्षक परेशान हैं. लिहाजा वे इसका विरोध कर रहे हैं. योजना अगर आगे नहीं चली तो सरकार के कुपोषण से मुक्ति और बच्चों को सेहतमंद रखने के अभियान को तगड़ा झटका लग सकता है.
परेशान कर रही है बजट की कमी
अन्नपूर्णा दूध योजना खटाई में पड़ती दिख रही है. दूध के लिए बजट की कमी से शिक्षक परेशान हैं. स्कूल चाहे सुबह खुलें या फिर दोपहर में. प्रार्थना सभा के तत्काल बाद सरकारी स्कूलों के छात्रों को दूध पिलाया जाता है. दूध को तैयार होने में घंटेभर का वक्त लगता है. नजदीकी डेयरी से दूध लाने से लेकर उसे भगोने में गर्म करने तक सारी प्रक्रिया शिक्षकों के सामने पूरी होती है. जैसे ही प्रार्थना खत्म होती है बच्चे कतार में लग जाते हैं.
इस दरम्यिान जो मुश्किलें आती हैं उनसे भी शिक्षक अब आजिज आने लग गए हैं. इनसे परेशान हो रहे गुरूजी ने अब इस योजना पर ही सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है. कई स्कूलों में पैसे की तंगी से दूध वितरण में दिक्कतें आ रही हैं, जिससे दूध की नियमित सप्लाई भी प्रभावित हो रही है. शिक्षकों का एक धड़ा भी अब इसके विरोध में खुलकर सामने आ गया है. विरोध कर रहे शिक्षकों का तर्क है बच्चों के खातों में सीधे पैसे डलवाए जाएं ताकि घरवाले ही उन्हें दूध समेत अन्य पौष्टिक चीजें खरीदकर खिला दें.
पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने शुरू की थी योजना
पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने 2 जुलाई, 2018 को यह अन्नपूर्णा दूध योजना शुरू की थी. योजना के तहत कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को दूध पिलाया जाता है. पहली से पांचवीं तक के बच्चों को 150 ग्राम तो छठी से आठवीं तक के बच्चों को 200 ग्राम दूध उपलब्ध कराया जाता है. प्रदेशभर में सरकारी स्कूलों के 45 लाख बच्चों को दूध उपलब्ध कराया जाता है.
सरकार जुटी है समीक्षा कराने में
गर्मी और बारिश में दूध की कीमतों में इजाफा हो गया, लेकिन सरकार ने बजट नहीं बढ़ाया. इसके चलते योजना के सुचारू संचालन में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. चीनी का इंतजाम शिक्षक मिलकर करते हैं. रोज रोज की परेशानी से शिक्षकों का एक धड़ा इसकी जगह ट्रेटा पैक दूध के वितरण की मांग करने लगा है. वहीं शिक्षकों की रोज रोज की शिकायतों से परेशान सरकार तमाम खामियों की समीक्षा कराने में जुटी है.

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