
साहब! मैं घर नहीं जाना चाहती, चाचा मारता है, आबरू का दुश्मन है भाई






कोटा. साहब! मां—बाप मर चुके हैं। चाचा के यहां रहती थी, दिनभर घर का काम करती थी। खाने की जगह चाचा से तमाचे मिलते थे। चचेरा भाई कई बार इज्जत लूट चुका है। कब तक सहती। घर छोड़कर चली आई। मैं वापस उस घर में नहीं जाना चाहती। यह कहते हुए किशोरी की रूलाई फूट पड़ी।
घर से भाग कर आई किशोरी की सूचना पर पुलिस और चाइल्ड लाइन टीम पहुंची और काउंसलिंग की तो उसका दर्द सुनकर वे भी सिहर उठे। बाद में किशोरी को कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया, जहां से अस्थाई आश्रय दिलवाया गया। चाइल्डलाइन कोटा शहर समन्वयक ने बताया कि मानव तस्करी प्रभारी राजेन्द्र सिंह कविया से भीमगंजमंडी क्षेत्र में दिल्ली से आई किसी किशोरी के चाय की दुकान पर आश्रित होने की सूचना मिली थी। इस पर भीमगंजमंडी थानाधिकारी हर्षराज खरेड़ा ने बताया कि दिल्ली से आई ये लड़की परिवार वालों के पास नहीं जाना चाहती।इस पर चाइल्डलाइन से कल्पना प्रजापति, अल्का अजमेरा, नर्बदा व कांस्टेबल नरेन्द्र ने जब बालिका से बात की, तो बालिका काफी सहमी हुई थी। बालिका ने बताया कि उसके माता-पिता का देहांत हो गया है। वह उसके चाचा के पास दिल्ली में रहती है, जहां चचेरा भाई उससे मारपीट की और कई बार उससे जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए।
चाचा उसे शारीरिक व मानसिक यातना देते है और खाने के लिए खाना नहीं देते है। वह घर पर सुबह से देर रात तक काम करती है। बालिका को बाल कल्याण समिति अध्यक्ष कनीज फातिमा के समक्ष पेश किया गया। बाल कल्याण समिति के आदेशानुसार बालिका को अस्थायी आश्रय दिलवाया गया है।


