सिंगल डोज स्पुतनिक लाइट वैक्सीन सितंबर में उपलब्ध होगी - Khulasa Online सिंगल डोज स्पुतनिक लाइट वैक्सीन सितंबर में उपलब्ध होगी - Khulasa Online

सिंगल डोज स्पुतनिक लाइट वैक्सीन सितंबर में उपलब्ध होगी

  • भारत में कोविड-19 टीकाकरण को रफ्तार देने के लिए सितंबर में सिंगल डोज रूसी वैक्सीन स्पुतनिक लाइट उपलब्ध होने वाली है। स्पुतनिक वी और स्पुतनिक लाइट को बनाने वाले रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) की पार्टनर कंपनी पैनासिया बायोटेक ने स्पुतनिक लाइट के लिए ड्रग रेगुलेटर ऑफ इंडिया से इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। यह वैक्सीन शुरुआत में सीमित क्वांटिटी में उपलब्ध होगी। इसकी कीमत 750 रुपए रहने की उम्मीद है।

रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी को 12 अप्रैल को भारत में इमरजेंसी अप्रूवल मिला था। अब यह वैक्सीन 65 देशों में लग रही है। भारत में मई में इसे आम जनता को लगाना शुरू किया गया। जून और जुलाई में वैक्सीन की सप्लाई गड़बड़ा गई थी, इस वजह से वैक्सीनेशन रफ्तार धीमी जरूर है, पर सितंबर-अक्टूबर में रफ्तार बढ़ सकती है।

आइए जानते हैं कि स्पुतनिक वी और स्पुतनिक लाइट में क्या अंतर है? यह देश में उपलब्ध बाकी वैक्सीन के मुकाबले कितनी इफेक्टिव है?

स्पुतनिक लाइट क्या है?

  • स्पुतनिक लाइट कोई नई वैक्सीन नहीं है, बल्कि रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी के दो डोज का पहला डोज ही है। दरअसल, स्पुतनिक वी के दोनों डोज में अलग-अलग वायरल वेक्टर का इस्तेमाल किया गया है।
  • रूस में यह देखा गया कि स्पुतनिक वी का पहला डोज कितना इफेक्टिव है। इसके लिए 5 दिसंबर 2020 और 15 अप्रैल 2021 के बीच रूस के वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत पहला डोज लगाने के 28 दिन बाद का डेटा जुटाया गया। उसका एनालिसिस करने पर सिंगल डोज की इफेक्टिवनेस 79.4% रही है। इसे ही स्पुतनिक लाइट नाम दिया गया है। रूस ने मई में इस वैक्सीन को मंजूरी दी थी।
  • खास बात यह है कि भारत में लग रही कोवीशील्ड और कोवैक्सिन दो डोज की वैक्सीन है। और तो और, दोनों डोज लगने के बाद भी इफेक्टिवनेस 80% से कम है। लैब स्टडी और ट्रायल्स का डेटा देखें तो स्पुतनिक वी का पहला डोज यानी स्पुतनिक लाइट इससे अधिक इफेक्टिव साबित हुई है।
  • पिछले हफ्ते जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन को भी इमरजेंसी अप्रूवल मिल गया है। यह भी ह्यूमन एडिनोवायरस सीरोटाइप नंबर 26 (rAd26) पर बेस्ड है, जिससे स्पुतनिक लाइट भी बनी है। जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के बड़े स्तर पर ट्रायल्स हुए हैं और अमेरिका, यूरोप व WHO इसे अप्रूव कर चुके हैं।
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