खतरनाक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन के संकेत, सर्वे में 30 प्रतिशत से अधिक जिले बेहद संवेदनशील - Khulasa Online खतरनाक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन के संकेत, सर्वे में 30 प्रतिशत से अधिक जिले बेहद संवेदनशील - Khulasa Online

खतरनाक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन के संकेत, सर्वे में 30 प्रतिशत से अधिक जिले बेहद संवेदनशील

जयपुर: देश प्रदेश के जंगलों में धधक रहे दावानल ने खतरनाक स्तर पर हो रहे जलवायु परिवर्तन की ओर संकेत दिए हैं. राजस्थान सहित प्रदेश के विभिन्न राज्यों में गर्मी के साथ ही जंगल की आग ने प्राकृति संपदा और अन्यजीवों के रहवास को काफी नुकसान पहुंचाया है. भारत के 30 प्रतिशत से अधिक जिले जंगल में भीषण आग लगने के लिहाज से संवेदनशील हैं. हाल में ही जारी एक अध्ययन में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में जंगल की आग के मामलों में 10 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है. ‘काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर’  की ओर से किए गए अध्ययन में बताया गया है कि पिछले महीने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में जंगल की भीषण आग की सूचना मिली थी.

सीईईडब्ल्यू के अध्ययन में यह भी पाया गया कि राजस्थान, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र के जंगलों में जलवायु में तेजी से बदलाव के कारण भीषण आग लगने की आशंका प्रबल है. सीईईडब्ल्यू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणाभ घोष के मुताबिक, ‘वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ, दुनिया भर में जंगल में भीषण आग की घटनाएं बढ़ी हैं, खासकर शुष्क मौसम वाले क्षेत्रों में. पिछले दशक में, देश भर में जंगल में आग लगने की घटनाओं में तेज वृद्धि हुई है. इनमें से कुछ का नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ा है.’ अध्ययन में यह भी पाया गया कि पिछले दो दशकों में, जंगल में आग की कुल घटनाओं में से 89 प्रतिशत से अधिक घटनाएं उन जिलों में दर्ज की गई हैं जो परंपरागत रूप से सूखा के लिहाज से संवेदनशील हैं या जहां मौसम में बदलाव के रुझान देखे गए हैं. पीसीसीएफ हॉफ डॉ. डीएन पाण्डेय ने कहा, ‘आगे बढ़ते हुए, हमें जंगल की आग को एक प्राकृतिक खतरे के रूप में पहचानना चाहिए और शमन से संबंधित गतिविधियों के लिए अधिक कोष निर्धारित करना चाहिए. वन भूमि की बहाली और जंगल की आग का कुशल शमन भी खाद्य प्रणालियों और पारंपरिक रूप से जंगलों पर निर्भर समुदायों की आजीविका की रक्षा करने में मदद कर सकता है.’

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