
जाना नहीं..हमारे लिये जीना चाहती थी वो





जाना नहीं..हमारे लिये जीना चाहती थी वो
खुलासा न्यूज़। हमारे परिवार में सबसे लाड़ली थी वो…उसका जन्म रक्षा बंधन से कुछ दिन पहले ही हुआ,इसलिये दादाजी ने उसका नाम रक्षा रख दिया। चिडिय़ा सी चहकती रक्षा अपनी सादगी और दूरदर्शी सोच के कारण हमारे परिवार की बेटियों में सबसे प्यारी थी। अपने इकलौते बड़े भाई नवीन के लिये मास्टरनी से कम नहीं थी, अपने पापा को भी लाइन पर रखती और मम्मी से इतना गहरा लगाव कि हर पल उनके साथ साये की तरह नजर आती। अफसोस….इस साल वो रक्षा बंधन से महज कुछ दिन पहले ही हमारे परिवार को आंसूओं के सैलाब में डूबो कर चली गई।
जाना नहीं …बल्कि हमारे लिये जीना चाहती थी वो,लेकिन बेरहम कैंसर की क्रूरता ने उसे हमसें छीन लिया। उम्र भी क्या थी…महज इक्कीस साल,ग्रेज्यूएशन करने के बाद एलएलबी कर वकील बनने का था सपना था उसका। खुशी के पलों में उसकी डिमांड भी कुछ नहीं होती थी,जो मिलता उसी में खुश। साल 2022 नवंबर में जब हमें उसकी बीमारी का पता चला तो पूरा परिवार स्तब्ध रह गया,ऐसा लगा मानों हम पर वज्रपात हुआ है। क्योंकि हमारे खानदान में आज तक किसी के ऐसी घातक बीमारी नहीं हुई,इसलिये हम सब डर गये। लेकिन वो डरी नहीं…कैंसर से संघर्ष के लिये तैयार थी। उसके संघर्ष में पूरा परिवार ढ़ाल बनकर साथ था।
कैंसर को मात देकर उसकी जिदंगी के लिये करीब तीन साल के संघर्ष में बीकानेर से जयपुर,मुंबई,हिमाचल प्रदेश तक अनवरत दौड़ चलती रही। जहां भी जिदंगी की किरण नजर आती वहां तक दौड़ लगाई। कैंसर की कू्ररता से बचने के लिये उसका हौंसला बेमिसाल था। कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर सुरेन्द्र बेनीवाल और डॉ.राहुल राय भी उसके हौंसले पर कायल थे। करीब तीन साल तक चले उसके इलाज में देवतुल्य डॉक्टरों ने उसकी जिदंगी बचाने के लिये हर संभव प्रयास किया। गंभीर बीमारी की हालत में रक्षा ने भी हर कठिन परिस्थिति का जबरदस्त अंदाज में सामना किया…ना खुद टूटी ने ना परिवार की उम्मीदों को टूटने दिया। लेकिन 29 जुलाई 2025 को निर्दयी कैंसर ने उसे हरा दिया,उसकी जिदंगी भी इस कदर बेरहमी से छीनी की कलेजा कांप जाये। अंतिम क्षणों में उसकी सिसकियों ने हमारा कलेजा छलनी कर दिया,आंसू पौंछते-पौंछते पलकों में छाले पड़ गये। वो हमारे लिये जीना चाहती थी…मगर नियति के आगे हम बेबस थे। …हमें माफ कर देना ‘रक्षा’
हे प्रभू…इस संसार को बेरहम
कैंसर के कहर से मुक्ति दिलाओं
श्रद्धानवत: पूनिया परिवार गांव सारायण हाल गली नंबर दस धोबी तलाई,बीकानेर

