देशनोक के करणी मंदिर में शारदीय नवरात्र की धूम, इस बार मन्दिर दर्शनार्थियों के लिए 24 घंटे रहेगा खुला - Khulasa Online देशनोक के करणी मंदिर में शारदीय नवरात्र की धूम, इस बार मन्दिर दर्शनार्थियों के लिए 24 घंटे रहेगा खुला - Khulasa Online

देशनोक के करणी मंदिर में शारदीय नवरात्र की धूम, इस बार मन्दिर दर्शनार्थियों के लिए 24 घंटे रहेगा खुला

 

खुलासा न्यूज़ , बीकानेर ।  पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर ज़िले के देशनोक में स्थित करणी मंदिर विश्व प्रसिद्ध है कि इस मंदिर का अपना इतिहास है और माँ करणी के चमत्कारों की अपनी किवदंतिया भी. यहाँ तक बीकानेर राज्य की स्थापना में इनका अहम योगदान माना जाता रहा है. आइए आपको ले चलते इस शरद नवरात्रा पर माँ करणी के दर्शनों के लिए।

कहते है जब जब धरती पर पाप, अन्याय,अत्याचार की पराकाष्ठा हुई तब तब संसार को कष्टों से मुक्ति दिलाने के लिए परम शक्ति को मानव रूप में पृथ्वी पर अवतरण होना पड़ा है. पन्द्रवी सदी में राजस्थान(राजपुताना) भयानक अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा था व छोटे छोटे राज्यो के शासक आपसी झगड़े ,कलह,विवाद उलझे हुए रहते थे.आमजन अनाचार व मुस्लिम आक्रमणों से भयभीत था उसी समय जगत जननी माँ करणी का अवतार हुआ।

विक्रम संवत 1444 अश्विन शुक्ला सप्तमी शुक्रवार तदनुसार 20 सितंबर 1387 को जोधपुर जिले के सुवाप गांव में किनिया शाखा के चारण कुल में पिता मेहोजी एव माता देवल बाई के घर इक्कीस माह गर्भ रहने बाद माँ करणी का जन्म हुआ।
कहते है बचपन से ही माँ करणी ने अलौकिक लीला दिखाना शुरू कर दिया था. अपने पिता को सर्पदंश लगने पर वि स 1450 में विष मुक्त कर जीवन दान दिया.

राव शेखा भाटी को अमरत्व का वरदान:- पूगल के शासक राव शेखा भाटी को युद्ध मे विजय का आशीर्वाद दिया एव पूरे सैन्य दल को थोड़ी सी बाजरे की रोटी व दही से भोजन कराया
– राव शेखा द्वारा अमरत्व वरदान मांगने पर माँ करणी ने वरदान देते हुए आज्ञा दी की चार बातो से अपने को बचाए रखे. 1 खींप के बान से चारपाई 2 आक वृक्ष छाया 3 आमावश्या का दिन 4 काले मेढ़े का मांस . यह संयोग नही बनने तक राव शेखा जीवित रहे.
माँ कान्हा की मृत्यु के बाद राव रिड़मल को गद्दी पर बैठाया जिसके पुत्र राव जोधा ने जोधपुर बसाया.वि स 1515 में माँ करणी ने जोधपुर किले का शिलान्यास किया.
नेहड़ी स्थापना:-जांगलू से करणी जी वर्तमान देशनोक में नेहड़ीजी स्थान पर रहने लगे तथा यहां खेजड़ी की सूखी लकड़ी गाढ़कर (नेहड़ी) से बिलौना किया करते थे जो आज भी हरे भरे खेजड़े के रूप में पूजित है.

देशनोक नगर की स्थापना व नामकरण:-वि स 1476 में वैशाख शुक्ला द्वितीया शनिवार को नेहड़ी मंदिर से दो किलोमीटर पूर्व में देशनोक नगर का शिलान्यास किया गया.राव रिड़मल ने नगर का नाम देश ओट रखने को कहा था लेकिन करणी जी ने इसे देश की नाक बताते हुए नगर का नाम देशनाक रखा जो बीकानेर राज्य की स्थापना:-जोधपुर से राव बिका अपने चाचा कांधल केराज्य स्थापन के ताने पर देशनोक करणी जी की शरण मे पहुंचा.करणी जी भाटी राजपूत राव शेखा की पुत्री से बिका जी विवाह करवाकर राजा बनने का आशीर्वाद दिया. वि स 1457 में बीकानेर दुर्ग की नींव रखी एव वि स 1545 वैशाख शुक्ल द्वितीया शनिवार को कार्य पूर्ण होने पर राज्यभिषेक समारोह हुआ.

मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष कहते हैं कि कोरोना के बाद इस बार श्रद्धालुओं मंदिर 24 घंटे खुला रहेगा ऐसे में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए नवरात्रों में बीकानेर पहुँच रहे हैं .

 

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